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ये कौन लोग थे जो राष्ट्रपति भवन में जमाया कब्ज़ा, पीएम आवास में भी लगा दी आग

Sri Lanka: हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका की हालत बेहद नाजुक हो गई है. पिछले कई वर्षों से देश काफी लाचार अस्वस्थ में आर्थिक संकट से जूझ रही है. बता दें, श्रीलंका में बेरोजगारी और महंगाई दोनों ही चरम पर है. वहां सामानों की कीमत आसमान छू रही है. इस वजह से वहां की जनता आक्रोश में पिछले कई महीनों से है और सड़क पर कई तरह के उग्र ओरादर्शन कर रहे हैं. आइये जानते हैं इन सभी चीजों में क्या मुख्य वजह रही है.

त्रस्त जनता ने राष्ट्रपति के खिलाफ खोला मोर्चा
श्रीलंका में आर्थिक संकट से त्रस्त जनता ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. देश की नाराज जनता उग्र होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है लोगों ने भारी संख्या में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर उनके सरकारी आवास को कब्जा कर लिया. जिसके बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की. ताकि देश में सर्वदलीय सरकार गठित करने का मार्ग प्रशस्त हो सके.

आक्रोशित जनता ने पीएम आवास में लगाई आग
खबर के मुताबिक़, बीती रात उग्र प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के आवास को आग लगा दी है. बेकाबू भीड़ के राष्ट्रपित भवन पर कब्जा करने के कुछ घंटो बाद ही प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के आवास को आग के हवाले कर दी. पीएम के जलते आवास का वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल होती जा रहा है.

मीडिया प्रभारी ने बताई ये मुख्य बात
पीएम रानिल के मीडिया प्रभारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सर्वदलीय सरकार बनने और संसद में बहुमत साबित होने के बाद भी रानिल प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देंगे. हालांकि विक्रमसिंघे ने विपक्षी पार्टी के नेताओं से कहा कि वे इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए पद छोड़ने का निर्णय ले रहे हैं कि इस सप्ताह से देशव्यापी ईंधन वितरण दोबारा शुरू किया जाना है, विश्व खाद्य कार्यक्रम के निदेशक इस सप्ताह देश का दौरा करने वाले हैं और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के लिए ऋण निरंतरता रिपोर्ट को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाना है.

राष्ट्रपति ने छोड़ा अपना आवास
बता दें, देश में लगातार हो रही झड़प और बवाल के बीच और शनिवार को होने वाले व्यापक उग्र प्रदर्शन को देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार 08 जुलाई को ही अपना आधिकारिक आवास छोड़ दिया था. हालांकि अभी वे कहां और किस जगह पर है इसकी जानकारी अबतक सामने नहीं आई है. बता दें, राष्ट्रपति भवन के अंदर के वीडियो फुटेज सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को कमरों और गलियारों के भीतर वहीं सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को बाहर के मैदान के आसपास देखा गया. कुछ वीडियो क्लिप में बड़ी संख्या में लोग राष्ट्रपति भवन के स्विमिंग पुल में डुबकी लगाते हुए भी दिखे.

हिंसक झड़प में 100 से अधिक घायल
शनिवार को सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में सात सुरक्षाकर्मियों सहित कम से कम 45 लोग घायल हो गए. हालांकि टीपी रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसक झड़प में 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं.

कोरोना काल, सरकार की गलत नीति से गहराया संकट
माना जा रहा है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट का सबसे बड़ा कारण विदेशों से कर्ज लेने के कारण आया है. श्रीलंका ने चीन जैसे देशों से बड़ी रकम में कर्ज ले रखी है. जानकारी के अनुसार, गैर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रजेक्ट के लिए श्रीलंका में कर्ज का बोझ काफी अधिक बढ़ गया है. जानकारों के मुताबिक, श्रीलंका पर अभी 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है और यह देश के लिए गले की फांसी बन गई है. इधर आलोचकों बात मानी जाएं, तो इस हालात के पीछे कोविड-19 जिम्मेदार है. इसके अलावे सरकार की गलत नीतियां भी कही जा रही है. कोरोना काल के दौरान देश के पर्यटन क्षेत्र महामारी के कारण काफी प्रभावित हुई, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में योगदान मिलता था, इस बीच विदेशी मुद्रा में भारी कमी आई. वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व में श्रीलंका सरकार ने कर में बड़ी कटौती की, जिससे सरकारी राजस्व और राजकोषीय नीतियां प्रभावित हुईं, जिससे बजट घाटा काफी बढ़ा.

देश में आर्थिक संकट से त्रस्त लंका की जनता
देश में आर्थिक संकट के बदहाल हालात को लेकर प्रदर्शनकारी लंका सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले मार्च से राजपक्षे पर इस्तीफा देने का दबाव लगातार बढ़ रहा है. वही अप्रैल महीने से प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति आवास को अपने आवास और कार्यालय के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. इस बीच इधर श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने 08 जुलाई (शुक्रवार)को देश की सेना और पुलिस से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने का आग्रह किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, ”हिंसा कोई जवाब नहीं है..अराजकता और बल प्रयोग से अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं होगी या राजनीतिक स्थिरता नहीं आयेगी, जिसकी अभी श्रीलंका को जरूरत है”.

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