झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की पीठ ने हॉर्स ट्रेडिंग मामले में अभियुक्त निलंबित एडीजी अनुराग गुप्ता की याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद अदालत ने 11 अगस्त तक अनुराग गुप्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। हालांकि, अदालत ने इस मामले में निचली अदालत की प्रक्रिया और जांच पर रोक नहीं लगाई है। इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
पीसी एक्ट लगाए जाने के खिलाफ एडीजी ने की दायर थी याचिका
राज्यसभा चुनाव 2016 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) लगाए जाने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ एडीजी अनुराग गुप्ता ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। रांची पुलिस ने तत्कालीन एडीजी सीआईडी अनिल पालटा द्वारा जारी समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर केस में पीसी एक्ट जोड़ने के लिए गृह विभाग से पत्राचार किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने पीसी एक्ट जोड़ने की अनुमति रांची पुलिस के केस के अनुसंधान पदाधिकारी को दे दी थी।
मामले में राज्य पुलिस के निलंबित एडीजी ने अब कोर्ट का रुख किया है। एडीजी अनुराग गुप्ता ने इस मामले में अपने निलंबन वापसी को लेकर भी कोर्ट में याचिका दायर की थी, साथ ही इस मामले में चुनाव आयोग को भेजी गई सीडी और मूलयंत्र की जल्द-से-जल्द जांच कराने की मांग भी की। एडीजी ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस मामले में बगैर एफएसएल की जांच रिपोर्ट आए ही, पीसी एक्ट जोड़ने को लेकर रांची पुलिस ने आवेदन दिया, जिसके बाद सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया।
रांची एसएसपी ने एफएसएल निदेशक से 24 मई को किया था पत्राचार
मामले में सीडी और मूलयंत्र की जांच को लेकर एफएसएल गांधीनगर से पत्राचार किया गया था। इस पत्र में जिक्र था कि तत्कालीन एडीजी सीआईडी ने केस की समीक्षा की थी, जिसके बाद जल्द-से-जल्द एफएसएल रिपोर्ट देने का आग्रह किया गया था। फरवरी महीने में पुलिस ने जांच के लिए सीडी और कथित मूलयंत्र मोबाइल को एफएसएल भेजा था। पूर्व में भी एफएसएल ने इस मामले में एक रिपोर्ट राज्य पुलिस को दी थी, जिसमें ऑडियों में 27 जगहों पर आवाज के कट किए जाने की पुष्टि हुई थी।
एक साल से अधिक समय से निलंबित हैं एडीजी
14 फरवरी 2020 को राज्य सरकार ने एडीजी अनुराग गुप्ता को जगन्नाथपुर थाना में दर्ज राज्यसभा चुनाव से जुड़े मामले में निलंबित कर दिया था। निलंबन के पूर्व अनुराग गुप्ता सीआईडी में बतौर एडीजी पोस्टेड थे। बाद में केस की मॉनिटरिंग सीआईडी द्वारा की जाने लगी थी। तब सीआईडी एडीजी रहे अनिल पालटा की समीक्षा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी अप्राथमिक अभियुक्त बना दिया गया था। वहीं, सरकार के स्तर से पीसी एक्ट जोड़ने की अनुसंशा भी की गई थी।