मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक की और अधिकारियों को अबाधित और गुणवत्ता युक्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। कहा कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में विभाग सभी समुचित कदम उठाए। बैठक में निर्णय लिया गया कि रांची, जमशेदपुर और धनबाद के शहरी क्षेत्रों में प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा। इसके लिए 6.5 लाख स्मार्ट मीटर खरीदने की प्रक्रिया चल रही है।
राज्य में बिना मीटर वाले अथवा खराब मीटर वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 15 लाख है। यहां सिंगल फेज मीटर लगाने एवं बदलने का काम इस साल दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। उपभोक्ताओं की मैपिंग के लिए जीआईएस तकनीक लागू की जा रही है, ताकि ऊर्जा मित्र द्वारा की गई बिलिंग की निगरानी की जा सके। इसके अलावा गिरिडीह जिला को सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। साथ ही एयरपोर्ट की खाली पड़ी जमीन पर सोलर प्लांट लगाने का काम तेज किया जाएगा। जरेडा द्वारा देवघर, सिमडेगा, पलामू और गढ़वा में 20-20 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए जमीन आवंटन प्राप्त कर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को स्वीकृति के लिए भेजा गया है।
ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों को विकसित करने पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों को विकसित करने का समय आ चुका है। ऐसे में राज्य में सोलर पावर और जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन के क्षेत्र में संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि जल विद्युत परियोजनाओं के लिए सभी जलाशयों का सर्वे करें और उसकी संभावित उत्पादन क्षमता को लेकर कार्य योजना तैयार करें।
सोलर पावर एनर्जी के लिए लैंड बैंक बनेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सोलर पावर एनर्जी के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। लेकिन इसके लिए बड़े पैमाने पर भूमि की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सोलर पावर प्लांट को लगाने के लिए लैंड बैंक बनाया जाएगा। उन्होंने इस दिशा में विभाग को सोलर पावर प्लांट के उत्पादन क्षमता का आकलन करते हुए जमीन की जरूरत का ब्यौरा तैयार करने को कहा है। सरकार का उद्देश्य राज्य में ज्यादा से ज्यादा सोलर पावर प्लांट लगाने पर फोकस करना है।
घाटा कम कर राजस्व बढ़ाने पर जोर:
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली से होने वाला घाटा लगातार बढ़ रहा है। इसे कम करने की दिशा में विभाग को कदम उठाना चाहिए। साथ ही बिजली से राजस्व बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। इस मौके पर विभाग की ओर से बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिजली परिचालन हानि लगभग 2480 करोड़ रुपये है। इसकी वजह कोरोना की वजह से बिजली बिल वसूली का नहीं होना प्रमुख रहा है। ऊर्जा विभाग को प्रॉफिट मेकिंग बनाने की दिशा में कार्य योजना तैयार की जा रही है। आने वाले दिनों में झारखंड न सिर्फ बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा, बल्कि बिजली से आमदनी करने में भी सक्षम होगा।
महत्वपूर्ण तथ्य:
राज्य में पावर प्लांट्स लगाने के राज्य सरकार के साथ इकरारनामे की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके तहत नॉर्थ कर्णपुरा से 500 मेगावाट, पीवीयूएनएल से 2040 मेगावाट, फ्लोटिंग सोलर से 100 मेगावाट और अडानी पावर से 400 मेगावाट बिजली मिल सकेगी। राज्य में वर्तमान में बिजली की औसतन मांग 2050 मेगावाट है, जबकि अगले पांच सालों में 2900 मेगावाट और आने वाले 10 सालों में 3440 मेगावाट बिजली की मांग होगी। ऊर्जा विभाग ने आनेवाले दिनों में ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को 45 प्रतिशत से कम कर 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।