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Jharkhand Live News – दुष्कर्म पीड़िता को ही पुलिस ने नहीं बनाया गवाह, DGP से हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब

झारखंड पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर हाईकोर्ट ने सवाल खड़ा किया है और इसे पुलिस की घोर लापरवाही माना है। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने पोक्सो एक्ट में मामला दर्ज करने और पीड़िता को गवाह नहीं बनाए जाने पर आश्चर्य जताते हुए राज्य के डीजीपी को खुद जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। 

कोर्ट ने कहा कि साहिबंगज की निचली अदालत ने एसपी, डीआईजी और डीजीपी को पीड़िता को गवाह बनाकर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया, लेकिन अदालत के आदेश का पालन भी नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि इससे साफ प्रतीत होता है कि कि आरोपी को बचाने के लिए पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से काम किया और अदालत के निर्देशों की परवाह भी नहीं की। अदालत ने डीजीपी को यह बताने को कहा है कि इस तरह की लापरवाही क्यों बरती गई। जांच में लापरवाही बरतने वालों पर क्या कार्रवाई की गई। हाइकोर्ट के इस आदेश की प्रति केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजने का निर्देश अदालत ने दिया। 

पीड़िता को आरोपी नहीं बनाए जाने का मामला हाईकोर्ट में उस समय सामने आया, जब आरोपी अनिल कुंवर ने जमानत के लिए याचिका दायर की। अनिल के खिलाफ एक नाबालिग से दुष्कर्म करने का आरोप है। इस संबंध में साहिबगंज के मिर्जा चौकी थाना में वर्ष 2018 में प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले की सुनवाई के दौरान जब अदालत ने दस्तावेज देखा तो पता चला कि इस मामले में पीड़िता को ही आरोपी नहीं बनाया गया है और आरोप पत्र तक दाखिल कर दिया गया है। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की और सरकारी वकील से कहा कि यह किस तरह का अनुसंधान है।

पोक्सो एक्ट का मामला है और इसमें पीड़िता को ही गवाह नहीं बनाया गया है, जबकि इस मामले का दूसरा कोई चश्मदीद भी नहीं है। क्या केस के अनुसंधान करनेवालों को इतनी भी जानकारी नहीं है। केस के सुपरविजन के दौरान भी यह बात सामने क्यों नहीं लायी गई। अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने भी पुलिस का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया था और एसपी से लेकर डीजीपी तक को पीड़िता को गवाह बना कर कोर्ट में पेश करने को कहा था, लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। इससे स्पष्ट है कि पूरा पुलिस तंत्र आरोपी को बचाने का प्रयास कर रहा है।

अदालत ने इस मामले में राज्य के पुलिस महानिदेशक को खुद शपथपत्र दाखिल कर यह बताने के को कहा कि जांच में ऐसी लापरवाही क्यों बरती गई, इसके लिए दोषी कौन है और उन पर क्या कार्रवाई की गई। अदालत ने इस आदेश की प्रति केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजने का निर्देश दिया। 

क्यों नहीं अवमानना का मामला चले
हाइकोर्ट ने साहेबगंज के एसपी, डीआईजी और मामले के अनुसंधानकर्ता को अवमानना का नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। सभी को यह बताने को कहा है कि निचली अदालत ने जब पीड़िता को गवाह बनाने और कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था, तो उसका पालन क्यों नहीं किया गया। सभी को चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश कोर्ट ने दिया। 

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