फर्जी कागजात से बैंक से लोन लेने और लोन की किस्त जमा नहीं करने के आरोपी ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में जमानत देने का आग्रह करते हुए कहा कि वह सारी रकम लौटा देगा। रकम लौटाने के बाद उसे जमानत दे दी जाए। आरोपी संजय डालमिया पर झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की सरायकेला शाखा से 38 करोड़ के घोटाले में शामिल रहने का आरोप है और उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। बता दें कि इस मामले में संजय डालमिया जेल में है।
शुक्रवार को संजय डालमिया की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी। इसी दौरान संजय डालमिया की ओर से प्रस्ताव दिया गया कि वह सारी रकम लौटा देगा। रकम लौटाने पर उसे जमानत प्रदान की जाए। इसका सरकार की ओर से विरोध किया गया। सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि संजय डालमिया पर लगा आरोप काफी गंभीर हैं। उसने फर्जी कागजात जमा कर बैंक से करोड़ों का लोन लिया है। वह उस लोन की राशि को चुकाने में आनाकानी कर रहे हैं। इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
सरकारी वकील ने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई आरोपी पैसा जमा करने की शर्त पर जमानत मांगता है, तो उसे बेल नहीं दी जानी चाहिए। दोनों पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी को शपथपत्र के माध्यम से अपनी बात रखने का निर्देश दिया है।
बता दें कि झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की सरायकेला शाखा से 38 करोड़ के घोटाले के मामले की जांच सीआईडी कर रही थी। 22 अगस्त 2019 को सरायकेला थाना में 5 करोड़ एवं 33 करोड़ के घोटाले के संबंध में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है। दोनों ही मामलों की जांच सीआईडी को दी गई थी। बाद में उसे एसीबी को ट्रांसफर कर दिया गया था।
इस गबन के संबंध में सरायकेला के शाखा प्रबंधक सुनील कुमार सत्पथी, सहायक पद पर कार्यरत मदन लाल प्रजापति, तत्कालीन मैनेजर वीरेंद्र कुमार, क्षेत्रीय कार्यालय चाईबासा में पदस्थापित एजीएम, तत्कालीन लेखाकार शंकर बंधोपाध्याय, चाईबासा क्षेत्रीय कार्यालय के तत्कालीन एमडी मनोज नाथ शाहदेव, तत्कालीन एजीएम मुख्यालय संदीप सेन, सीईओ बृजेश्वर नाथ और संजय कुमार डालमिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।