होमUncategorizedभारत में इस तारीख को होगी राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव, जानें इसकी पूरी प्रक्रिया

भारत में इस तारीख को होगी राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव, जानें इसकी पूरी प्रक्रिया

President Election: देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है. बता दें, इन दोनों ही पदों के लिए चुनाव की तारीख घोषित हो गई है. वहीं, मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है और 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा. जिसमें एनडीए की ओर से द्रौपदी मूर्मु को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया जबकि विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 6 अगस्त को वोटिंग होगी. 19 जुलाई तक नामांकन की आखिरी तारीख है. मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है.

भारत में प्रथम नागरिक राष्ट्रपति
दरअसल, राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक कहा जाता है. यह देश का सबसे बड़ा संवैधानिक पद है. भारतीय संघ की कार्यपालिका की सभी शक्ति राष्ट्रपति में ही निहित होती है. जबकि उप राष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है.

जानें चुनाव की प्रक्रिया
इस चुनाव में अन्य चुनाव की भांति जनता की सीधी भागीदारी नहीं होती है बल्कि जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले यानी सांसद और विधायक वोटिंग करते हैं. इन सांसदों और विधायकों में भी जो नॉमिनेटेड सांसद या विधायक हैं वे मतदान नहीं कर सकते. क्योंकि वे सीधे जनता द्वारा चुनकर सदन में नहीं आते हैं.

राष्ट्रपति पद के लिए ये योग्यता आवश्यक

  • भारत का नागरिक होना अनिवार्य
  • उम्र  35 वर्ष से कम नहीं
  • किसी लाभ के पद पर आसीन नहीं होना चाहिए

राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है
राष्ट्रपति चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है जिसमे लोकसभा-राज्यसभा के कुल 776 सदस्य वोटिंग करते हैं .राज्य विधानसभाओं के 4,809 विधायक भी मतदान करते हैं जिसमे लोकसभा और राज्यसभा के वोटों का मू्ल्य समान होता है . विधायकों के वोटों का मूल्य अलग अलग होता है. लोकसभा और राज्यसभा के वोटों का वेटेज एक होता है जबकि विधानसभा के सदस्यों का अलग वेटेज होता है. दो राज्यों के विधायकों का महत्व अलग-अलग होता है. इसे अनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं. विधायकों का मूल्य ( वेटेज ) राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है. राज्य की जनसंख्या को चुने हुए विधायक की संख्या से बांटा जाता है और फिर उसे एक हजार से भाग दिया जाता है. इसके बाद जो अंक मिलता है वह उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है. एक हजार से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेजेट में एक जोड़ दिया जाता है.

सांसदों के वोट का मूल्य
सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं से निर्वाचित सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है. अब इस सामूहिक वेटेज को राज्यसभा और लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है. इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक संख्या का इजाफा हो जाता है.

वोटिंग के लिए खास पेन
मतदान के दौरान बैलेट पेपर पर सभी उम्‍मीदवारों के नाम होते हैं और मतदाता को अपनी वरीयता को 1 या 2 अंक के रूप में उम्‍मीदवार के नाम के सामने लिखना होता है. यह नंबर लिखने के लिए के लिए चुनाव आयोग एक विशेष पेन उपलब्‍ध कराता है.

जीतने के लिए कितने वोट की जरूरत?
राष्ट्रपति चुनाव में पहले से ही तय होता है कि जीतने के लिए कितने वोट की जरूरत होगी. इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता नहीं घोषित किया जाता है बल्कि जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा वोट प्राप्त कर लेता है वो विजेता होता है . इस बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है, उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है. तो जीत के लिए उम्मीदवार को कुल 5,49,442 वोट हासिल करने होंगे . जो प्रत्याशी वेटेज हासिल कर लेता है वह राष्ट्रपति चुन लिया जाएगा.

राष्ट्रपति की प्रमुख शक्तियां 

  • कार्यपालिका की पूरी शक्तियां राष्ट्रपति के हाथ में होती है.
  • राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रत्यक्ष खुद या फिर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • राष्ट्रपति का प्रमुख दायित्व प्रधानमंत्री की नियुक्ति और संविधान का संरक्षण करना है.
  • कोई भी अधिनियम राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना पारित नहीं हो सकता.
  • मनी बिल को छोड़कर किसी भी बिल को पुनर्विचार के लिए वापस कर सकते हैं.

राष्ट्रपति तक पहुंचा सकता है आम आदमी भी अपनी बात
वर्ष 2007 में लोगों के लिए राष्ट्रपति सचिवालय से संपर्क करने के लिए एक ऑनलाइन सेवा की शुरुआत की गई थी, इस सेवा के माध्यम से लोग अपनी बात राष्ट्रपति तक पहुंचा सकते हैं. इसके लिए राष्ट्रपति सचिवालय में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.

उपराष्ट्रपति का चुनाव
उपराष्ट्रपति का चुनाव भी राष्ट्रपति चुनाव की तरह इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए ही होता है। इस पद पर निर्वाचित शख्स जनप्रतिनिधियों की पसंद होता है. उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी वोट कर सकते हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेते हैं.

उपराष्ट्रपति के लिए योग्यता 

  • भारत का नागरिक होना चाहिए
  • उम्र 35 साल से कम नहीं होना चाहिए
  • राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने योग्य हो
  • केंद्र या राज्य के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो

20 मतदाताओं का प्रस्तावक का होना महत्वपूर्ण
उपराष्ट्रपति के लिए जो मतदान होता वो गोपनीय होता है, हर सदस्य केवल एक वोट ही डाल सकता है. राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है. उपराष्ट्रपति पद के लिए अभ्यर्थी का नाम 20 मतादाताओं द्वारा प्रस्तावित किया जाना जरूरी है साथ ही उसे  20 मतदाताओं का समर्थन भी  होना चाहिए. उम्मीदवार को 15 हजार रुपये की जमानत राशि भी जमा करना जरूरी होता है.

अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति
उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से किया जाता है. इसमें वोटिंग के लिए खास प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है जिसे सिंगल ट्रांसफ़रेबल वोट सिस्टम कहते है। इसके तहत वोटर को एक वोट ही देना होता है लेकिन उसे अपनी प्राथमिकता तय करनी होती है. बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों की लिस्ट में पहली पसंद को एक और दूसरी दो इस तरह से उसे प्राथमिकता तय करनी होती है.

वोटों की गिनती
उपराष्ट्रपति पद के लिए मतगणना में सभी उम्मीदवारों को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को गिना जाता है, इसके बाद कुल संख्या को 2 से भाग जाता है और भागफल में 1 जोड़ दिया जाता है. इसके बाद जो संख्या मिलती है उसे वह कोटा माना जाता है, जो किसी उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने के लिए जरूरी है. अगर कोई उम्मीदवार पहली काउंटिंग में जीत के लिए जरूरी कोटे के बराबर या उससे ज्यादा वोट हासिल कर लेता है तो उसे विजेता  घोषित कर दिया जाता है.अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर प्राथमिकता के आधार पर वोट गिने जाते हैं और पहले उस उम्मीदवार को बाहर किया जाता है जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले. दूसरी वरीयता के वोट ट्रांसफर होने के बाद सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर करने की नौबत आने पर अगर दो उम्मीदवारों को सबसे कम वोट मिले हों तो बाहर उसे किया जाता है जिसके पहली प्राथमिकता वाले वोट कम हों. अगर अंत तक किसी को तय कोटा न मिले तो भी इस सिलसिले में उम्मीदवार बारी-बारी से बाहर होते रहते हैं और आखिर में जिसे भी सबसे ज्यादा वोट मिलता है वह विजयी होता है.

   उपराष्ट्रपति की शक्तियां

  • राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद उपराष्ट्पति का ही होता है.
  • उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं.
  • राष्ट्रपति की गैरहाजिरी में उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति का कामकाज देखते हैं.

राष्ट्रपति के जैसे ही उपराष्ट्रपति के पास आवेदन देने या फिर मिलने के लिए दफ्तर में ऑनलाइन संपर्क किया जा सकता है. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन वह समय सीमा के खत्म हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक पद पर बने रह सकते हैं.

Most Popular