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Bihar Live News – हार नहीं मानेंगे चिराग पासवान, चाचा पारस से लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार

लोजपा में चल रहे विवाद के बाद पहली बार चिराग पासवान ने बुधवार को मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपना इरादा साफ कर दिया। बोले वह हार नहीं मानने वाले हैं। चाचा पारस से लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर चुके हैं। इस बीच उन्होंने पारस को लोकसभा में एलजेपी का नेता बनाने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा है।

चिराग ने दिल्‍ली में प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि पिता राम विलास पासवान के रहते ही कुछ लोग उनकी पार्टी को तोड़ने में लग गए थे। इसको लेकर खुद राम विलास ने अपने भाई पशुपति कुमार पारस से पूछा भी था। उन्‍होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी हारी नहीं, बल्कि बड़ी जीत दर्ज की। उनकी पार्टी का वोट प्रतिशत पहले से बढ़ा है। सीटें कम आईं जरूर, लेकिन लोजपा ने चुनाव में जीत के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

चिराग ने कहा कि लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद से उनको हटाए जाने का फैसला पार्टी के संविधान के अनुरूप नहीं है। उन्‍होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उन्‍होंने कहा कि संसदीय बोर्ड में बदलाव का फैसला केवल संसदीय बोर्ड या राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ही ले सकते हैं, लेकिन उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने ऐसा नहीं किया।

पार्टी और परिवार दोनों को बचाने का किया प्रयास
चिराग ने कहा कि उन्‍होंने अपनी पार्टी और परिवार दोनों को बचाने का हरसंभव प्रयास किया। उनकी मां रीना पासवान भी लगातार इस कोशिश में लगी रहीं। उन्‍होंने लगातार चाचा पारस और अन्‍य सहयोगियों को आमंत्रित किया कि मिल बैठकर समस्‍याओं पर बात की जाए और उसका निदान निकाल लिया जाए। जब लगा कि यह अब संभव नहीं है, तब उन्‍होंने राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और सभी पांच बागी सांसदों को पार्टी से बाहर करने का फैसला लिया गया।

नीतीश पर भी किया हमला
उन्‍होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनके सामने कोई दूसरा विकल्‍प नहीं है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों से उनकी पार्टी सहमत नहीं थी। ऐसे में उनके साथ चुनाव लड़ना संभव नहीं था। यह जरूर है कि अगर लोजपा, एनडीए के साथ रहकर चुनाव लड़ी होती तो लोकसभा चुनाव की तरह ही राजद का पत्‍ता साफ हो जाता। कहा कि उनकी पार्टी ने समझौते की बजाय संघर्ष का रास्‍ता चुना था। पिता के निधन के बाद उन्‍होंने परिवार और पार्टी दोनों को लेकर चलने का काम किया। इसमें संघर्ष था। जिन लोगों को संघर्ष का रास्‍ता पसंद नहीं था, उन्‍होंने ही विश्‍वास के साथ धोखा किया।

स्पीकर से निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया
चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का प्रमुख बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने और उन्हें संसदीय दल का नेता नियुक्त करने का आग्रह किया है। पासवान ने बिरला को पत्र लिख कर कहा है कि पार्टी संविधान के अनुसार संसदीय दल के नेता का चुनाव संसदीय बोर्ड करता है। पशुपति कुमार पारस को संसदीय बोर्ड ने नेता नहीं चुना है और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उन्हें दल से बाहर कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि लोजपा के छह सांसदों में से चार ने पारस को संसदीय दल का नेता बनाने को लेकर बिरला को पत्र लिखा था। बाद में श्री पारस को नेता नियुक्त कर दिया था।

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