कोरोना काल में पिछले साल नौकरी जाने के बाद से डिप्रेशन में रह रहे आदमपुर निवासी मानस कुमार (45) का शव बुधवार को मानिक सरकार के पास धोबी घाट से मिला। परिजनों ने बताया कि वह सोमवार की शाम घर से निकले थे। उसके बाद से पता नहीं था। गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में भी कराई थी।
घाट से शव बरामद होने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए पुलिस ने भेज दिया। परिजनों का कहना है कि सोमवार की शाम लगभग छह बजे वह बांका में जगतपुर स्थित ननिहाल जाने की बात कहकर निकले थे। मृतक मानस के पिता अरुण चंद्र दत्ता गोपालगंज से एडीएम के पद से सेवानिवृत हुए थे और पिछले साल उनकी मौत हो गयी थी। मानस मूल रूप से बांका के धौरी राजपुर के रहने वाले थे। न्यू बैंक कॉलोनी में वे किराये पर रहते थे।
नौकरी जाने के बाद अपनी कंपनी खोली पर वह भी नहीं चली
बैंक की नौकरी से सेवानिवृत हुए भीखनपुर के रहने वाले मानस के मामा बीके दास ने बताया कि मानस बड़ी कंपनी में एचआर हेड के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने निजी क्षेत्र के एक बड़े बैंक में भी नौकरी की। पिछले साल कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गयी। इसके बाद दिल्ली में ही मानस ने एचआर फर्म खोलने की ठानी। मामा ने बताया कि जिन दोस्तों के साथ मानस ने एचआर कंपनी खोली थी, उन दोस्तों ने उसे धोखा दे दिया और वह भी बंद करना पड़ा। इसके बाद से वह भागलपुर में ही आकर रहने लगे। परिजनों को इस बात की आशंका है कि डिप्रेशन की वजह से मानस ने अपनी जान दे दी।
10 साल के बेटे ने कहा था, पापा जल्दी आइएगा
मानस की पत्नी और 10 साल का बेटा दिल्ली में रहते हैं। परिजनों ने बताया कि मानस की पत्नी सपना वहीं नौकरी करती है। मानस लंबे समय से भागलपुर में ही थे, इसलिए उनका बेटा जब भी कॉल करता तो पापा को जल्दी दिल्ली आने के लिए कहता था। लंबे समय से मानस की पत्नी भी दिल्ली से नहीं आयी थी। घर में मानस की मां और छोटा भाई मनीष है। मनीष के बारे में बताया गया कि वह एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं।
छोटे भाई को एक दिन का बेटा अस्पताल में, आर्य समाज से श्राद्ध कर्म की तैयारी
मानस के मामा ने बताया कि उसके छोटे भाई मनीष को मंगलवार को बेटा हुआ है। स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए वह अस्पताल में ही भर्ती है। ऐसी स्थिति में बड़े भाई का 10 दिनों का श्राद्ध कर्म करना छोटे भाई के लिए मुश्किल दिख रहा। मामा बीके दास ने बाया कि परिवार के अन्य सदस्यों से बात कर वह आर्य समाज की तरह श्राद्ध कर्म करने की बात करेंगे, ताकि तीन दिन में ही सबकुछ निपट जाए। मानस के ममेरे भाई मानिक रंजन ने बताया कि आर्य समाज के पंडित को खोजा जा रहा है। मानस की मां बेटे को अंतिम बार देखने के लिए बहुत परेशान थी। घर में सभी का रो-रोकर हाल बेहाल है।