लोजपा की लड़ाई अब चुनाव आयोग पहुंच गई है। शुक्रवार को चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान दोनों ने बारी-बारी से चुनाव आयोग में अपना पक्ष रख। पारस गुट ने खुद को असली लोजपा होने का दावा करते हुए चुनाव चिह्न और पार्टी का झंडा उपयोग करने की इजाजत मांगी। बाद में चिराग ने खुद भी आयोग जाकर पारस गुट के दावे को खारिज करने का अनुरोध आयोग से किया। दोनों गुट ने अपना-अपना कानूनी पक्ष रखा।
चिराग ने आयोग को आग्रह किया है कि पार्टी के नाम और झंडे का किसी और को उपयोग करने की इजजात नहीं होनी चाहिए। आयोग ने सांसदों की संख्या की जानकारी मांगी तो चिराग ने बताया कि छह सांसद उनके जीतकर आये थे लेकिन पांच को दल से निकाल दिया गया है। उन्होंने पटना में हुई बैठक को असंवैधानिक बताया। कहा कि पार्टी से निकाले गए लोग पार्टी की बैठक कैसे बुला सकते हैं। जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग ने अभी दोनों पक्षों को सुन लिया है। आयोग ने पारस से कुछ और कागजों की जानकारी मांगी है जिसे बाद में उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। आयोग की ओर से कोई फैसला नहीं हुआ है। मतलब यथास्थिति फैसला आने तक बनी रहेगी।
पटना में गुरुवार को राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हुए चुनाव के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी लेने के बाद पशुपति कुमार पारस शुक्रवार को दोपहर दिल्ली चले गये। इसके पहले दिल्ली में उनके समर्थकों ने चुनाव आयोग से समय ले लिया था। आयोग दिल्ली पहुंचते ही उनके समर्थक सांसद भी पहुंच गये। कानूनविदों से राय लेने के बाद पारस ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विनोद नागर के अलावा संजय सर्राफ और रामजी सिंह को चुनाव आयोग भेजा। दिल्ली पहुंचे पार्टी प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने बताया कि पार्टी ने सारे कागजात आयोग को सौंप दिये हैं। राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक की प्रोसिडिंग और राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होने का प्रमाणपत्र आयोग को दे दिया गया है।