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Bihar Live News – मोदी सरकार में बढ़ी बिहार की हिस्‍सेदारी, दो नए केंद्रीय मंत्री बने, एक का कद बढ़ा 

केंद्रीय मंत्रिपरिषद विस्‍तार के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार में बिहार की हिस्‍सेदारी बढ़ गई है। बुधवार शाम बिहार से जहां दो नए केंद्रीय मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली वहीं एक पुराने मंत्री का कद भी बढ़ता नज़र आया। प्रधानमंत्री मोदी की नई टीम में बिहार से जेडीयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष आरसीपी सिंह और लोजपा के पशुपति कुमार पारस को शामिल किया गया है। इसके अलावा  केंद्रीय राज्य मंत्री आरके सिंह को अपने कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई है। यानी उनका प्रमोशन हो गया है। आइए जानते हैं टीम मोदी में शामिल बिहार के इन तीन नेताओं के बारे में।

आरसीपी सिंह सबसे पहले बात आरसीपी सिंह की। यूपी कैडर के आईएएस रहे आरसीपी सिंह के लिए मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने तक का सफर आसान नहीं रहा। 11 साल पहले प्रशासनिक सेवा से स्‍वैच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद उन्‍होंने काफी सधे कदमों से चलते हुए यहां अपनी जगह सुरक्षित की है। कभी केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव रहे आरसीपी सिंह का पूरा नाम है रामचंद्र प्रसाद सिंह। वह राज्‍यसभा के सदस्‍य हैं। उन्‍हें बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है। जनता दल यू में नीतीश के बाद उन्‍हें नंबर दो का नेता माना जाता है। पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का पद छोड़ा तो उत्‍तराधिकारी के तौर पर आरसीपी सिंह ही उनकी पसंद थे। बताया जाता है कि जेडीयू की नीतियों को बनाने में भी उनकी अह्म भूमिका रहती है। सीएम नीतीश के कई बड़े फैसलों में आरसीपी सिंह की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है। आरसीपी सिंह के साथ एक खास बात यह है भी वह सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के ही रहने वाले हैं। आरसीपी सिंह पिछले 23 साल (1998) से सीएम नीतीश कुमार के साथ हैं। वह लम्‍बे समय तक सीएम नीतीश कुमार के प्रधान सचिव के रूप में काम करते रहे हैं। आरसीपी सिंह 1996 में केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव हुआ करते थे। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में जब नीतीश कुमार रेल मंत्री बने तो 1998 में उन्‍होंने आरसीपी सिंह को अपना विशेष सचिव बनाया। तबसे वह लगातार नीतीश कुमार के साथ रहे। दोनों के बीच विश्‍वास का सम्‍बन्‍ध बनता गया। यह इतना बढ़ा कि जब नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का पद छोड़ा तो कमान आरसीपी सिंह को ही सौंप दी। 

पशुपति कुमार पारसएनडीए में शामिल लोजपा के कोटे से केंद्रीय मंत्री बनने वाले पशुपति कुमार पारस स्‍व.रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं। पारस के लिए मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाना इतना आसान नहीं रहा। परिवार से लेकर पार्टी तक उन्‍हें लम्‍बी लड़ाई लड़नी पड़ी। अंतत: भतीजे चिराग को इस जंग में मात देकर पशुपति ने न सिर्फ मंत्रिमंडल में अपनी जगह सुनिश्चित की बल्कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में भी अपनी स्थिति को सुरक्षित कर लिया। पशुपति को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लिए जाने की अटकलें तभी से लगने लगी थीं जब चिराग को छोड़कर लोजपा के सभी सांसदों ने पशुपति को अपना नेता मान लिया था। पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फोन पर पारस से बातकर रामविलास पासवान के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। तब यह सुनिश्चित माना जाने लगा कि उन्‍हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा रहा है। 

पशुपति कुमार पारस का जन्म छह जून 1957 को हुआ था। बताया जाता है कि पशुपति कुमार पारस अपने भाई रामविलास पासवान के साथ हमेशा साये की तरह रहते थे। रामविलास पासवान की तरह ही पशुपति कुमार पारस भी बिहार की दलित राजनीति का चेहरा माने जाते थे। पशुपति पारस खुद भी बताते हैं कि उन्‍होंने अपने बड़े भाई रामविलास के आशीर्वाद से ही राजनीति शुरू की और उनसे ही राजनीति के गुर भी सीखें। वह लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। पशुपति पारस और रामविलास पासवान के अलावा उनके एक और भाई रामचंद्र पासवान भी लोजपा के संस्थापक सदस्यों में से थे। तीनों में से दो भाइयों रामविलास और रामचंद्र का देहांत हो चुका है। 

आर.के.सिंहराज्‍यमंत्री से कैबिनेट मंत्री बने आर.के.सिंह कभी आईएएस अधिकारी थे। वह एक काबिल अफसर के तौर पर जाने जाते थे। बतौर राज्‍यमंत्री स्‍वतंत्र प्रभार अच्‍छा काम करने के लिए मोदी सरकार ने उन्‍हें कैबिनेट मंत्री का ओहदा देकर पुरस्‍कृत किया है। लेकिन एक जमाने में आरके सिंह भाजपा के सबसे बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने की वजह से चर्चा में आए थे। यह रामजन्‍म भूमि आंदोलन के दौर की बात है। देश के प्रधानमंत्री  वीपी सिंह थे और बिहार के मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद यादव। आंदोलन को देश भर में गति देने के लिए रथयात्रा लेकर निकले भाजपा के तब के सबसे बड़े नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी जब बिहार पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उस वक्‍त आर.के सिंह ने ही बतौर समस्‍तीपुर डीएम यह जिम्‍मेदारी निभाई थी। पीएम मोदी से प्रमोशन मिलने के साथ ही आरके सिंह एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। 

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