आजीवन कारावास की सजा 20 वर्ष की होती है पर आपराधिक मामले का अनुसंधान ही इतने दिनों तक चलता रहे तो क्या कहेंगे। बिहार पुलिस एक-दो या तीन साल नहीं बल्कि बीस वर्षों से भी ज्यादा समय से कई आपराधिक मामलों की जांच कर रही है। ऐसे मामलों की संख्या इक्का-दुक्का नहीं है। तीन सौ से ज्यादा आपराधिक कांडों की जांच 20 साल बीत जाने के बावजूद अबतक पूरी नहीं हो पाई है। पुलिस मुख्यालय ने लंबित कांडों के निष्पादन के लिए विशेष ध्यान देने का निर्देश जिलों के एसपी को दिया है।
19 जिलों में 20 वर्ष से अधिक पुराने केस लंबित
बिहार पुलिस के पास 305 केस ऐसे हैं जिसकी जांच 20 वर्षों से ज्यादा समय से चल रही है पर अनुसंधान अबतक पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे मामले अररिया, बगहा, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, गया, गोपालगंज, जमुई, कैमूर, मधुबनी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, पटना, रोहतास, नालंदा, समस्तीपुर, सारण और वैशाली में दर्ज हैं।
मई तक कुल 196004 लंबित थे कांड
बिहार में मई 2021 तक लंबित आपराधिक कांडों की संख्या 1 लाख 96 हजार 4 थी। इनमें हत्या के 5418, लूट के 3681 और डकैती के 1063 कांडों का अनुसंधान पूरा नहीं हो पाया है। पटना में सबसे अधिक 24 हजार 905, गया में 16 हजार 222, सारण में 14 हजार 443, मुजफ्फरपुर में 13 हजार 353 और सीतामढ़ी में 11 हजार 243 कांड लंबित थे।
5006 एसआर केस में नहीं हुआ पर्यवेक्षण
बीते माह तक राज्यभर में 5006 विशेष प्रतिवेदित कांड (एसआर) का पर्यवेक्षण नहीं हो पाया था। गया, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पटना, रोहतास, सारण और सीवान जिले में 200 से ज्यादा ऐसे मामलों का पर्यवेक्षण लंबित था। पुलिस मुख्यालय ने रेंज आईजी और डीआईजी को इसकी समीक्षा के निर्देश दिए हैं।
मुख्यालय ने कहा गिरफ्तारी को चलाएं अभियान
कांडों का अनुसंधान लंबित होने के साथ ही हत्या, डकैती, लूट और पुलिस पर हमले जैसे गंभीर मामलों में गिरफ्तारी भी बड़ी संख्या में लंबित पड़ी है। जानकारी के मुताबिक पिछले महीने तक हत्या से जुड़े मामलों में 7010 आरोपियों की गिरफ्तारी लंबित थी। वहीं डकैती और लूट के कांडों में यह संख्या क्रमश: 1606 और 2859 रही। पुलिस पर हमले से जुड़े मामलों में 4308 गिरफ्तारियां लंबित हैं। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाने का टास्क सौंपा है।