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Bihar Live News – दो नए चेहरों के साथ बिहार से मोदी मंत्रिपरिषद में छह का कोटा कायम, राजकुमार सिंह का कद बढ़ा

पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले विस्तार में जदयू भी मंत्रिमंडल में शामिल हो गया। बिहार से दो नए चेहरों में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह और लोजपा के एक गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को मोदी मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। जबकि पटना साहिब से भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद की छुट्टी कर दी गई है। केंद्र में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार राजकुमार सिंह का कद बढ़ा है और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। रामचंद्र प्रसाद सिंह और राजकुमार सिंह आईएएस अधिकारी रहे हैं। 

मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही बिहार से मंत्रियों की संख्या फिर छह हो गई है। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल में भी बिहार से छह मंत्री थे। रामविलास पासवान के निधन के बाद यह संख्या घटकर पांच रह गई थी। स्व. पासवान की जगह पशुपति कुमार पारस ने ली है। इस तरह रविशंकर प्रसाद के हटने से बिहार से मंत्रियों की संख्या छह ही रह गई है।

जदयू पहली बार मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुआ है। वर्ष 2019 में मंत्रिमंडल के गठन के समय आनुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से जदयू ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला लिया था। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विस्तार से एक दिन पहले ही यह साफ कर दिया था कि पुरानी बात खत्म हो गई है। आरसीपी सिंह को पार्टी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने पर फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया है। आरसीपी सिंह ने कहा था कि सहयोगी दल के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से गठबंधन में सद्भाव और बढ़ता है।

मालूम हो कि आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे हैं। वर्ष 2006 में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी सिंह उनके प्रधान सचिव बने थे। दिसंबर, 2020 में नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। हलांकि जदयू से और भी केंद्र में मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी। इनमें मुंगेर से सांसद ललन सिंह का नाम आरीसीपी सिंह के बाद सबसे ऊपर था। पर, किसी को भी शामिल नहीं किया गया। 

बिहार भाजपा से मंत्री बनने वालों में जो अटकलें लगाई जा रही थीं उनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल का नाम सबसे आगे था। पर, इन दोनों नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी। बिहार से तीन और मंत्री पहले से शामिल हैं, जिनमें बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह, बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे और उजियारपुर से सांसद नित्यानंद राय हैं। गिरिराज सिंह कैबिनेट तो अश्विनी चौबे और नित्यानंद केंद्रीय राज्य मंत्री हैं।  

बात पशुपति कुमार पारस की करें तो उनका भी कद अब बढ़ गया है। एनडीए का विश्वास हासिल करने में वे सफल रहे। वहीं चिराग पासवान अपने को प्रधानमंत्री का हनुमान बताते रहे, पर विश्वास प्राप्त करने में चूक गए। बिहार विधानसभा चुनाव में जब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर लड़ने का फैसला किया तो पशुपति कुमार पारस ने इसका विरोध किया था। वे शुरू से ही एनडीए के साथ ही चुनाव मैदान में जाने की वकालत करते रहे, पर चिराग पासवान नहीं माने।

इसी कारण पशुपति पारस विधानसभा चुनाव में पूरी तरह मौन रहे और एक बार भी लोजपा के किसी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार नहीं किया। अभी हाल में लोजपा के छह में चार सांसदों का समर्थन उन्हें मिला और नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उन्हें लोकसभा अध्यक्ष ने लोजपा संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता भी दे दी है। पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान दोनों ने पार्टी पर अपना दावा किया है और चुनाव आयोग के पास फरियाद की है।  

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