कोरोना महामारी से निपटने के लिए बनाई कोरोना वैक्सीन को लेकर पूरे देश में तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला है। अफवाहों के चलते लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम इन लोगों के गांवों में वैक्सीन लगाने के लिए जाती है तो उन्हें उल्टे पांव ही लौटना पड़ता है। वैक्सीन न लगवाने के कारण कोरोना महामारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस को लेकर बिहार सरकार सख्त हो गई। बिहार सरकार ने ऐसे लोगों की सूची तैयार करने को कहा है जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है।
कई जगहों पर तो शिक्षकों और रसोइयों ने भी टीका नहीं लिया है। ऐसे लोगों के खिलाफ विभाग गंभीर है। इसके लिए टीका नहीं लेने वाले लोगों की सूची मंगाई गई है। जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि जिले में करीब 20 फीसदी शिक्षकों ने टीका नहीं लिया है। वहीं करीब छह हजार रसोइया हैं जो स्कूलों में खाना बनाती हैं, लेकिन इसमें से अधिकतर ने कोरोना से बचाव के लिए टीका नहीं लिया है।
इसके लिए सभी प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारियों से वैसे शिक्षकों व रसोइया के नामों की सूची मांगी गई है। साथ ही यह भी कारण मांगा गया है कि वे लोग टीका क्यों नहीं ले रहे हैं। इसमें कुछ लोगों ने ज्यादा डायबिटीज, कोई किडनी से जुड़े रोग तो कोई कुछ और बीमारी को लेकर टीका नहीं ले रहे हैं। डीईओ ने कहा कि इन कारणों को एकत्र कर सिविल सर्जन से बात कर इन लोगों को इस संबंधी में सही जानकारी दी जाएगी और उन्हें टीका लेने के लिए जागरूक किया जाएगा।