Jharkhand News: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व झारखण्ड सरकार पर जांच चल रही है. इसे देखते हुए सीएम सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. ये याचिकाएं हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए दाखिल की गई हैं. हाई कोर्ट ने खनन पट्टे जारी करने में अनियमितताओं के मामले में मुख्यमंत्री के विरुद्ध जांच की मांग वाली एक जनहित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था.
इन्होनें दी अपनी सहमती
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मीनाक्षी अरोड़ा के प्रतिवेदन पर विचार करते हुए अपनी सहमति दी. दोनों अधिवक्ता क्रमश: झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री की ओर से पेश हुए थे. झारखंड हाई के समक्ष दाखिल याचिका में खनन पट्टे जारी करने में अनियमितताओं और मुख्यमंत्री के परिजनों और सहयोगियों द्वारा संचालित मुखौटा कंपनियों के लेन-देन को लेकर जांच करने का अनुरोध किया गया था. उसने संबंधित याचिका को मंजूर कर लिया था.
झारखंड सरकार ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख
दरअसल, हाईकोर्ट का झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉड्रिंग करने और खनन पट्टों में अनियमितता की जांच कराने वाली जनहित याचिका को सुनवाई योग्य मानने के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सीलबंद लिफाफे में याचिका को स्वीकार किए बिना रिपोर्ट देने के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य विचार
मामले में 24 मई को सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को पहले याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, यह तय करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को पहले ये सुनवाई करने को कहा कि जांच की मांग करने वाली PIL सुनवाई योग्य है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस विचार से हैं कि न्याय के हित में ये जरूरी है कि चीफ जस्टिस की अगुवाई में हाईकोर्ट पहले ये तय करे कि जांच की मांग करने वाली याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट सुनवाई की अगली तारीख पर पहले ये ही तय करें. हम इस मामले में केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं. याचिका के सुनवाई योग्य होने के फैसले के आधार पर, हाईकोर्ट उसके बाद कानून के अनुसार आगे बढ़ सकता है.