मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को झारखंड की सौर ऊर्जा नीति 2022 का लोकार्पण किया. राज्य सरकार ने अगले पांच सालों में (2022-23 से 2026-27 तक) सौर ऊर्जा से 4000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. सौर ऊर्जा से राज्य के लोगों को दो से ढाई रूपये प्रति यूनिट बिजली मिल सकेगी. अभी चार से पांच रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलती है.
सौर ऊर्जा नीति की लांचिंग कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज जिस प्रकार हर व्यक्ति को भोजन की जरूरत है, उसी प्रकार सभी के लिए ऊर्जा भी आवश्यक है. परंपरागत ऊर्जा का उत्पादन कोयले से होता है. इसकी दिक्कतों से हम वाकिफ है. ऐसे में हमें ऊर्जा के दूसरे विकल्प में जाना चाहिए. साथ ही कई जिलों में 30-40 मेगावाट बिजली की खपत है और एक एकड़ जमीन में लगी सौर ऊर्जा से एक मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है तो संबंधित जिलों में 400-500 एकड़ जमीन में प्लांट लगने से वहां की बिजली की आपूर्ति सौर ऊर्जा से हो जाएगी. देखा जाए तो झारखंड ऐसा राज्य है जहां पहाड़, नदी-नाले, दुर्गम क्षेत्र ज्यादा हैं. इससे ट्रांसमिशन लाइन से बिजली पहुंचाने में कठिनाई होती है.
जानकारी के मुताबिक़, सौर ऊर्जा नीति का लोकार्पण समारोह में गिरिडीह से झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़े थे. मुख्यमंत्री ने गिरिडीह को सोलर सिटी के रूप में ऑनलाइन उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि गिरिडीह पहला जिला होगा जो सौर ऊर्जा पर निर्भर होगा. जिला प्रशासन के साथ मिलकर घर-घर में घरेलू उपयोग के लिए सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाए. मौके पर समारोह में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार, सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे, जरेडा के निदेशक केके वर्मा, सीईईडब्ल्यू के सीईओ अरूणाभ घोष समेत कई पदाधिकारी मौजूद थे.