राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने कहा है कि विशेष भूमि सर्वेक्षण के दौरान अगर सरकारी जमीन का खाता किसी रैयत के नाम खुला तो इसकी सीधी जिम्मेवारी संबंधित सीओ (अंचलाधिकारी) की होगी। पहले चरण में राज्य के 20 जिलों में भूमि सर्वेक्षण हो रहा है। मुख्यालय से क्षेत्रों में गई अधिकारियों की टीम को कई जिलों में यह शिकायत मिली कि सीओ की मिलीभगत से सरकारी जमीन का खाता रैयतों के नाम खोल दिया गया है। भू सर्वेक्षण एवं परिमाप निदेशक जय सिंह ने सभी अपर समाहर्ताओं को पत्र लिखकर कहा है कि वे इन शिकायतों को गंभीरता से लें। देखें कि किन अंचलों में कितनी सरकारी जमीन रैयतों के नाम कर दी गई है।
अपर समाहर्ताओं को विभाग ने पिछले साल के नवंबर में ही इस विषय में सावधान कर दिया था। लेकिन, निदेशक जय सिंह के अलावा अन्य अधिकारियों ने क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान पाया कि कुछ जिले नवंबर के पत्र पर अमल नहीं कर रहे हैं। शेखपुरा, जहानाबाद एवं अरवल जिले में ऐसी शिकायतें अधिक मिलीं। इसके बाद निदेशक के स्तर से सोमवार को एक पत्र फिर लिखा गया। पत्र के मुताबिक मुख्यालय में हुई समीक्षा के दौरान कुछ जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों ने शिकायत की थी कि भूमि सर्वेक्षण कार्य में अंचल अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं।
सरकारी भूमि के स्वामित्व निर्धारण के लिए होने वाली सुनवाई के समय अंचलाधिकारी या उनकी ओर से अधिकृत प्रतिनिधि उपस्थित नहीं रहते हैं। अंचल अधिकारी स्वामित्व परिवर्तन के बारे में शिविरों को निर्देश भी नहीं देते हैं। अपर समाहर्ताओं को कहा गया है कि वे अपने स्तर से देखें। अगर कोई सरकारी जमीन रैयत के नाम की गई है तो संबंधित सीओ के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करें।
इन जिलों को दिया गया पत्र
अरवल, जहानाबाद, सीतामढ़ी, शिवहर, पश्चिम चंपारण, मुंगेर, बांका, लखीसराय, जमुई, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, नालंदा, बेगूसराय, खगडिय़ा, कटिहार, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा एवं कटिहार।