दीपावली के बाद से राजधानी रांची समेत झारखंड के कई शहरों में प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है. झारखंड के कई शहरों में हवा काफी ज्यादा प्रदूषित हो गई है जिसके बाद से लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगी है और कई तरह के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है. झारखंड के कई शहरों की हवा काफी खराब श्रेणी में पहुंच गया है यह अस्थमा, सांस संबंधी बीमारी से ग्रस्त लोगों को अधिक बीमार कर देने की स्थिति रही.
आंकड़ो का आकलन करने में जुटा जेएसपीसीबी-
दिवाली के दिन वायु प्रदूषण की स्थिति और भी खराब हो गई। खबर लिखे जाने तक जेएसपीसीबी आंकड़ों के आकलन में जुटा था। दिवाली पर ध्वनि प्रदूषण अनुमान्य सीमा से 54 फीसदी तक अधिक रिकॉर्ड किया गया। हालांकि तेज हवाओं के कारण दिवाली के अगले दिन वायु प्रदूषण में सुधार दिखने से लोगों ने राहत की सांस ली।
कचहरी चौक पर ध्वनि प्रदूषण 78 डेसीबल पहुंचा
रांची के कचहरी चौक पर सामान्य सीमा 65 है। दिवाली पर यहां ध्वनि प्रदूषण 78 डेसीबल तक पहुंचा। अलबर्ट एक्का चौक पर अनुमान्य सीमा 65 से 22 फीसदी अधिक 80 डेसीबल तक रिकॉर्ड किया गया। शोर की यह सीमा शाम से रात 12 बजे के बीच की है। अशोक नगर में 55 डेसीबल तक शोर की सीमा तय है, दिवाली में यह 68 डेसीबत तक रिकॉर्ड किया गया। यहां शोर पिछली दिवाली पर 79.6 डेसीबल के मुकाबले कम रिकॉर्ड किया गया।
ध्वनि प्रदूषण ने भी बढ़ाई लोगों की तकलीफ
दिवाली पर रांची के शांत जोन में ध्वनि प्रदूषण अनुमान्य सीमा से 54.22 प्रतिशत अधिक हो गया। हालांकि, त्योहार से एक हफ्ते पहले 18 अक्टूबर से दिवाली के दिन की तुलना करने पर यह 6.34 प्रतिशत अधिक रहा। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) ने दिवाली पर पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे का समय रात 8 बजे से रात 10 बजे तक दिया था और झारखंड उच्च न्यायालय (शांत क्षेत्र), अलबर्ट एक्का चौक (वाणिज्यिक क्षेत्र), कचहरी चौक (वाणिज्यिक क्षेत्र) और अशोक नगर (आवासीय क्षेत्र) में ध्वनि प्रदूषण के स्तर की निगरानी कराई। शांत क्षेत्र हाईकोर्ट के पास 50 डेसीबल तक शोर अनुमन्य है, लेकिन दिवाली की रात यहां शोर 76.2 डेसीबल तक दर्ज हुआ।