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झारखण्ड के इस गांव से 24 किमी दूर मिलती है बसें, परिवहन की दुर्लभ स्थिथि

Jharkhand News: झारखंड की परिवहन व्यवस्था अभी भी दुखदायी है. ग्रामीण इलाकों से प्रखंड या जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए बसें नहीं के बराबर हैं. वहीं कई इलाके ऐसे हैं, जहां लोगों को 24 किमी दूरी पैदल तय करने के बाद बस मिलती है. जानकारी के मुताबिक, पड़ोसी बिहार के किसी भी कोने से राजधानी पहुंचने में मात्र पांच घंटे समय लगने का दावा किया जाता है.

बस परिवहन निजी ऑपरेटरों के हाथ में

दरअसल, झारखंड में बस परिवहन निजी ऑपरेटरों के हाथ में है. निजी ऑपरेटर उन्हीं रूट पर बस चलाना पसंद करते हैं, जहां उनको अधिक मुनाफा मिलता है. इससे दूर-दराज के लोगों को असुविधा होती है. झारखंड में बस से साहिबगंज से लगभग 500 किमी दूर रांची पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं. अगर इस जिले के किसी प्रखंड से यात्रा करनी हो तो 15 घंटे लग जाते हैं. यही हाल गढ़वा के वलासपुर का भी है. यहां से रांची की दूरी 250 किमी है परन्तु बस से यात्रा में 8 घंटे लगते हैं. भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही कहते हैं कि गढ़वा के सुदूर गांवों से रांची के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है.

नाव से गंगा पार भी करते हैं यात्री

साहिबगंज प्रखंड की मखमलपुर पंचायत के कारगिल दियारा से प्रखंड मुख्यालय की दूरी 24 किमी है. बीडीओ सुबोध कुमार ने कहा जिनके पास अपना वाहन नहीं है उन्हें पैदल ही यह दूरी तय करनी पड़ती है. राजमहल के गदाई दियारा के लोग प्रखंड मुख्यालय पहुंचने के लिए पहले नाव से गंगा पार करते हैं. फिर 15 किमी की दूरी ऑटो से तय होती है. सरायकेला की हेसाकोचा पंचायत के मुटूदा गांव के लोगों को 12 किमी पैदल चलना पड़ता है.

 इस पंचायत में सार्वजनिक परिवहन भी उपलब्ध नहीं

पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा की जोरडीहा पंचायत से मुख्य पथ सिंगलौम जाने के लिए कोई सुविधा नहीं है. ग्रामीणों को मुख्य पथ के लिए 12 किमी व लिट्टीपाड़ा के लिए 30 किमी की दूरी अपनी व्यवस्था से तय करनी पड़ती है. सिमडेगा में तो जिला मुख्यालय से ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के लिए दोपहर बाद बस ही नहीं मिलती. हजारीबाग के कटकमसांडी की दर्जनभर पंचायतों के लिए कोई सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था नहीं है.

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