होमझारखंडझारखंड के लोगों को लगा बड़ा झटका ! अब इस बैंक को...

झारखंड के लोगों को लगा बड़ा झटका ! अब इस बैंक को किया जा रहा Private, मिला पत्र

भारत सरकार के द्वारा कई सरकारी सम्पतियों को निजी हाथों में दे दी है. बता दें, झारखंड के इकलौते ग्रामीण बैंक को भी निजी करने का फैसला कर रहे हैं. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के निदेशक प्रशांत गोयल ने झारखंड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन को इस आशय का पत्र भेजा है. इसमें भारत सरकार की ओर से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का आईपीओ लाने की जानकारी दी गई है. भारत सरकार झारखंड ग्रामीण बैंक में अपने 50 फीसदी शेयर में से 34 प्रतिशत शेयर निकाल लेगी. केवल 16 प्रतिशत शेयर ही रखेगी. 34 फीसदी शेयर भारत सरकार आईपीओ के माध्यम से बेचेगी. बैंक में बाकी 35 प्रतिशत शेयर भारतीय स्टेट बैंक और 15 प्रतिशत शेयर झारखंड सरकार के हैं.

443 शाखाओं में हैं 1200 कर्मचारी
झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की वर्तमान में 443 शाखाएं हैं. लगभग 1200 कर्मचारी हैं. झारखंड में पहले दो ग्रामीण बैंक झारखंड क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और वनांचल ग्रामीण बैंक थे. बाद में दोनों बैंकों को एकीकृत कर झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक बना दिया गया. वर्तमान में बैंक के पास कुल जमा राशि 8,617 करोड़ है.  बैंक ने 6,010 करोड़ रुपए के ऋण वितरित कर रखे हैं.

सुदूर इलाकों में बैंकिंग हो सकती है कम
जानकारों का मानना है कि झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के निजी प्रबंधन के हाथों में जाने के बाद सुदूर इलाकों में बैंकिंग सुविधा को विकसित करने में दिक्कत आ सकती है. निजी प्रबंधन वित्तीय समावेशन के नाम पर गैर लाभकारी शाखाओं का संचालन जारी रखने पर विचार कर सकता है. इसका सीधा असर खेती-किसानी को मिलने वाले ऋण पर पड़ेगा.

झारखंड सरकार के रुख पर है नजर
भारत सरकार की ओर से पत्र आने के बाद झारखंड सरकार के रुख पर सबकी नजर टिकी है. झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक में राज्य सरकार का भी 15 प्रतिशत शेयर है. ऐसे में राज्य सरकार केंद्र को इस संदर्भ में विचार करने का आग्रह कर सकती है.

किसका कितना शेयर

  • 50 % – भारत सरकार का
  • 35 % – भारतीय स्टेट बैंक का
  • 15 % – झारखंड सरकार का

झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की वर्तमान में

  • कुल शाखाएं – 443
  • कुल जमा – 8,617 करोड़
  • कुल ऋण – 6,010 करोड़

गरीब ग्रामीण जनता और बैंककर्मियों का बढ़ेगा शोषण
झारखंड ग्रामीण बैंक कर्मचारी संघ के एनके वर्मा का कहना है कि ग्रामीण बैंक के निजीकरण से ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सुविधा के विस्तार को धक्का पहुंचेगा. इससे गरीब ग्रामीण जनता और बैंककर्मियों का शोषण बढ़ेगा. सीमांत किसानों और ग्रामीण बेरोजगारों को वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया से जोड़ने की गति धीमी पड़ेगी.

 

Most Popular