बिहार की राजधानी पटना घुमने आने वाले पर्यटकों को यहां ब्रिटिश काल में बनी ऐतिहासिक इमारत गोलघर भी अपने तरफ आकर्षित करती है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां पर मरम्मत का काम चल रहा है। जिसके कारण लोगों को गोलघर पर चढ़कर पटना का नजारा देखने का मौका नहीं मिल पा रहा है।
गोलघर के सीढ़ियों पर चढ़ने के सपना होगा पूरा
हालांकि अभी भी कई लोग गोलघर पर चढ़ने की तम्मना लेकर वहां आते हैं लेकिन निराश होकर बाहर से ही लौट जाते हैं। लेकिन बहुत जल्द उनकी यह तम्मना पूरी होने वाली है। क्योंकि अब इसके सीढियों के मरम्मत का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। जिसे बहुत ही जल्द पूरा कर लिया जाएगा। सीढियों के तैयार होने के बाद आराम से गोलघर पर चढ़ा जा सकेगा।
12लाख की लागत से मरम्मत हो रहा है यहां की सीढ़ियां
माना जा रहा है कि आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया द्वारा गोलघर के दोनों सीढियों के निर्माण का कार्य किया जा रहा है। इस काम में 12 लाख रुपये की लागत आई है। फिलहाल सीढियों का प्लास्टर हटाकर उनपर नया पलास्टर लगाया जा रहा है। जबकि सीढ़ियों के कोण में मेटल का एंगल लगाया जा रहा है। इससे उसकी मजबूती बढ़ जाती है।
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को सौंपा गया है कार्य
वर्ष 2011 में गोलघर की दीवारों पर दरारें दिखी थी. जिसके बाद से राज सरकार ने इसको अपने संरक्षण में लेकर इसका सर्वे कराया। इसे वर्ष 2012 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को सौंप दिया गया। गोलघर के मरम्मत के दौरान गोलघर की दरारें भरी गई है। पुराने प्लास्टर को निकालने के बाद सुर्खी चूना का प्लास्टर लगाया गया है। इस काम में पांच से छह वर्षों का समय लगता है। गोलघर के कार्य के लिए 2009 से अब तक लाख रुपये दिए जा चुके है।