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इस महीने तक प्याज के दाम में मिलेगी राहत, नहीं बढ़ेगी कीमत, जानें क्या रही वजह

देश में महंगाई दर के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा तय सीमा से ज्‍यादा होने के कारण सरकार अब हर उस चीज को लेकर सतर्क है, जो देश में महंगाई बढ़ा सकती है. बता दें आम आदमी को प्याज की कीमत कई बार रुला चुकी है. इसलिए सरकार इस बार काफी सजग है. भले ही प्‍याज के दाम इस साल पिछले साल से अभी तक करीब 9 फीसदी कम हैं, लेकिन सरकार ने इसकी कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए इंतजाम अभी से शुरू कर दिए हैं. क्योंकि सबसे ज्यादा प्याज की कीमत अगस्त महीने से नवंबर तक ही इजाफा होती है. इसी दौरान प्याज की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होने से उत्पादक मंडियों से लेकर उपभोक्ता मंडियों के बीच आपूर्ति का संकट बना रहता है, लिहाजा प्याज की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच जाती हैं. लेकिन इस बार सरकार काफी सजग हैं और स्थिति कायम रखी है.

दरअसल, प्रत्येक वर्ष अगस्त के दूसरे सप्ताह आते-आते रबी सीजन का प्याज का स्टॉक समाप्त होने के कगार पर होता है. इसी का फायदा उठाते हुए उत्पादक मंडियों से लेकर उपभोक्ता मंडियों तक में जमाखोरी करने वाले व्यापारी बाजार में महंगाई को हवा देने से बाज नहीं आते हैं. मांग आपूर्ति के अंतर से कीमतें बढ़ जाती हैं.

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अगस्त और सितंबर के बीच होने वाली मानसूनी बारिश भी प्याज की ढुलाई को प्रभावित करती है. लिहाजा उत्पादक मंडियों से उपभोक्ता राज्यों की सप्लाई बाधित होती है. पिछले सालों के कड़वे अनुभवों का लाभ उठाते हुए सरकार ने चालू सीजन में प्याज की महंगाई पर काबू पाने की अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया है.

महंगाई पर नजर रखने वाली अंतर मंत्रालयी सचिवों की समिति ने रबी सीजन (मार्च से मई के बीच वाले) के प्याज का बफर स्टॉक बनाने का फैसला कर लिया. इसी के तहत सहकारी संस्था नैफेड ने चरणबद्ध तरीके से महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों से प्याज की खरीद की है. प्याज का निर्धारित बफर स्टॉक 2.5 लाख टन पूरा कर लिया गया है.

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज के अच्छे भाव को देखते हुए इस बार निर्यात अच्छा नहीं हुआ है. भारतीय प्याज के सबसे बड़े आयातक देश बांग्लादेश ने प्याज आयात पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया है, जबकि श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते प्याज का निर्यात प्रभावित हुआ है. इसी तरह रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुई स्थितियों में प्याज के पाउडर और सूखे प्याज का निर्यात भी 20 फीसद से अधिक प्रभावित हुआ है.

चालू हार्टिकल्चर वर्ष 2021-22 के दौरान प्याज का उत्पादन 311 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा है. इसीलिए प्याज का भाव बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र के प्याज उत्पादकों ने सरकार से प्याज निर्यात को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया है. दरअसल, उत्पादक मंडियों में प्याज की कीमतें पिछले वर्षों की तरह अप्रत्याशित वृद्धि नहीं हो रही है.

 

 

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