पंचायत चुनाव को लेकर यूपी में सरगर्मियां तेज
इस बार चुनाव लड़ने का सपना देख रहे कई मौजूदा प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों का सपना टूटने वाला है. 80 प्रतिशत से ज्यादा पंचायत प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों और नियमों का पालन नहीं किया है. चुनाव आयोग ने चुनाव के समय खर्च का ब्योरा जमा करने का आदेश जारी किया था. चुनाव आयोग ने तब कहा था कि अगर किसी प्रत्याशी ने चुनाव में हुए खर्च का ब्योरा नहीं दिया तो वह चुनाव लड़ने से अयोग्य भी करार दिए जा सकते हैं. चुनाव आयोग के इस फरमान को न केवल जीतने वाले बल्कि हारने वाले 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने पालन नहीं किया. ऐसे में अब आगामी चुनाव में नामांकन के समय निर्वाचन आयोग यह देखेगा कि किसने ब्योरा दिया है और किसने नहीं. जिन लोगों ने ब्योरा नहीं दिया है उन्हें चुनाव आयोग चुनाव लड़ने से अयोग्य भी ठहरा सकती है.
योगी सरकार भी पंचायत चुनाव को लेकर एक अलग ही तैयारी कर रही है.
योगी सरकार कर सकती है बड़ा फैसला
दूसरी तरफ योगी सरकार भी पंचायत चुनाव को लेकर एक अलग ही तैयारी कर रही है. पिछले दिनों खबर आई थी कि राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर योगी सरकार (Yogi Government) बड़ा फैसला ले सकती है. ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के चनावों को लेकर योगी सरकार बड़ा संशोधन करने की तैयारी में है. दरअसल, जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकती है. इसके साथ ही उम्मीदवारों के न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी निर्धारित करने की तैयारी है. बता दें कैबिनेट के माध्यम से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है.
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क्या कहना है राज्य निर्वाचन आयोग का
उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी जे पी सिंह का कहना है कि केन्द्रीय पंचायतीराज अधिनियम में पंचायत चुनावों के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उनमें प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने को लेकर जो भी फेरबदल होंगे वह राज्य सरकारों पर छोड़ा गया है. अगर उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्याशियों की योग्यता नए सिरे से तय करना चाहतीहै तो उसे विधान मण्डल का सत्र बुलाकर विधेयक पारित करवाना होगा. कैबिनेट की मंजूरी भी इशके लिए जरूरी है.