इन दो सीटों पर कभी नहीं जीती बीजेपी
जिन आठ सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से दो सीट एसी है जहां अब तक बीजेपी का कमल नहीं खिला है. रामपुर की स्वार सीट और जौनपुर की मल्हनी सीट पर आज तक बीजेपी नहीं जीत पाई है. रामपुर की स्वार सीट से सपा सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम विधायक बने थे. लेकिन बिर्थ सर्टिफिकेट फर्जीवाड़े में इलाहबाद हाई कोर्ट ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी. वहीं जौनपुर की मल्हनी सीट 2012 में अस्तित्व में आई. इस सीट पर अब तक दो बार चुनाव हुए हैं और दोनों ही बार समाजवादी पार्टी का परचम लहराया. यह सीट सपा विधायक पारसनाथ यादव के निधन से खाली हुई है. अब इन दोनों ही सीटों पर जीत के लिए बीजेपी ने चुनावी मंथन शुरू कर दिया है.
इस वजह से बीजेपी और सपा की प्रतिष्ठा दांव परदरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उपचुनाव को सेमिफिनल के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी के सामने न सिर्फ 2017 में जीती विधानसभा सीटों पर अपना कब्ज़ा बनाए रखने की चुनौती है, बल्कि सपा के कब्जे वाली स्वार और मल्हनी को भी जीतकर लोकप्रियता में बढ़ोतरी का सन्देश भी देना चाहती है. उधर सपा की बात करें तो स्वार और मल्हनी में अपना कब्जा बरकरार रखते हुए बीजेपी के कब्जे वाली कुछ सीटों को भी अपनी झोली में डालकर अखिलेश यादव की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ने के दावे को साबित करना है.
इन सीटों पर रहा है बीजेपी का कब्ज़ा
आठ में से जिन छह सीटों पर 2017 में बीजेपी को जीत हासिल हुई थी उनमें कुलदीप सिंह सेंगर के रेप मामले में उम्र कैद की सजा होने के बाद जेल जाने से खाली हुई उन्नाव की बांगरमऊ, डॉ. एसपी सिंह बघेल के सांसद बन्ने से रिक्त हुई फिरोजाबाद की टूंडला, जनमेजय सिंह के निधन से देवरिया, चेतन चौहान अमरोहा की नौगांव सादात, कमलरानी वरुण कानपुर की घाटमपुर और वीरेंद्र सिंह सिरोही बुलंदशहर सीट शामिल है.