थाना-पुलिस (Police) के मामले यहां शामिल नहीं हैं. इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश (UP) अकेला ऐसा राज्य है जहां से सबसे ज़्यादा शिकायतें आयोग को मिली हैं. इस मामले में दूसरे नंबर पर दिल्ली (Delhi) है. लॉकडाउन का जुलाई वो महीना है जिसमे हर राज्य से सबसे ज़्यादा शिकायतें आयोग को मिली हैं.
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यूपी से आईं महिला अत्याचार की 5470 शिकायतेंकोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन पूरे देश में लगाया गया था. लेकिन यूपी अकेला ऐसा राज्य है जहां लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर सबसे ज़्यादा अत्याचार हुए हैं. पूरे देशभर से लॉकडाउन के दौरान जहां 13410 महिलाओं ने अपनी शिकायत दर्ज कराई है, वहीं अकेले यूपी से 5470 महिलाओं ने अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों की शिकायत महिला आयोग को भेजी है. सबसे ज़्यादा शिकायत मार्च, जून, जुलाई और अगस्त में आई हैं. सबसे बड़ा नंबर जुलाई का 1461 है.
लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर हुए अत्याचार के यह हैं आंकड़े.
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लॉकडाउन में जब सब बंद था तो WhatsApp बना हथियार
देशभर में लॉकडाउन के दौरान जब सब कुछ बंद था, यहां तक की कि आप थाने-चौकी जाने की हालत में भी नहीं थे. ऐसे में वाट्सऐप महिलाओं के लिए एक हथियार साबित हुआ. राष्ट्रीय महिला आयोग ने सामान्य दिनों के लिए भी एक वाट्सऐप नंबर जारी किया हुआ है. इसी नंबर पर महिलाओं ने लॉकडाउन के दौरान आयोग को अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों की शिकायत भेजी है. आयोग को 6 महीने के दौरान वाट्सऐप पर कुल 1442 शिकायतें मिली हैं. वहीं यूपी से 190 शिकायत मिली हैं.
महिला अत्याचारों के खिलाफ यह बोले सीएम योगी आदित्यनाथ
यूपी में बढ़ते महिला अपराध को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त नाराजगी जताई है. मुख्यमंत्री ने अधिकारीयों को निर्देश दिया है कि सरेराह छेड़खानी करने वाले शोहदों और आदतन दुराचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये. साथ ही सीएम योगी ने बड़ा फैसला लेते हुए ऐसे अपराधियों के पोस्टर सार्वजानिक सथलों पर लगाने के निर्देश दिए हैं.
मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद अब नागरिक संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने की तरह अब मनचलों, शोहदों और आदतन दुराचारियों के पोस्टर पूरे शहर में लगेंगे. इसके पीछे की मंशा ऐसे अपराधियों को समाज के सामने लाकर उन्हें शर्मिंदा करने की है.