केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सितंबर में कहा था कि जरूरत के हिसाब से मौद्रिक नीतियों में बदलाव हो सकते हैं और ब्याज दरों में भी कटौती की गुंजाइश बनी हुई है. एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा थी कि आरबीआई को ब्याज दरें घटाने का सिलसिला जारी रखना चाहिए. बैंकर्स का कहना है कि महंगाई के दबाव में रेपो घटाना संभव नहीं लग रहा है.वहीं अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश कम है. बाजार विश्लेषकों का कहना है कि पहली तिमाही में जीडीपी रिकॉर्ड निचले स्तर तक जाने के बाद होने वाली यह पहली बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ये है उम्मीदें-कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था में सुधार लाना भी बड़ी चुनौती बना हुआ है. संभव है कि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए क्या गैर परंपरागत कदम उठाये जा सकते हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो फरवरी से रेपो दर में आरबीआई ने 1.15 फीसदी की कटौती की जा चुकी है. उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई 9 अक्टूबर को 0.25 फीसदी रेपो दर में कटौती का ऐलान कर सकता है.
RBI Monetary Policy Committee (MPC) के नए मेंबर्स – जयंत आर वर्मा: वर्मा इंडीयन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद में प्रोफेसर हैं.
शशांक भिडे: भिडे नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च में वरिष्ठ सलाहकार हैं. शशांक ने कृषि अर्थशास्त्र में पीएचडी की है. वह बैंगलुरु में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य के रूप में भी कार्य करते हैं.
अशीमा गोयल: इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च में प्रोफेसर हैं. गोयल के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में अर्थव्यवस्था पर 100 से अधिक लेख छपे हैं. उन्होंने मैक्रोइकोनॉमिक्स और मार्केट्स इन डेवलपिंग एंड इमर्जिंग इकोनॉमीज और भारतीय अर्थव्यवस्था की एक संक्षिप्त पुस्तिका सहित कई पुस्तकों का लेखन और संपादन भी किया है.