अदालत ने गत शुक्रवार को उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) और धारा 125 तथा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) की धारा 20 के तहत दोषी पाया था. अदालत ने उसे यूएपीए की धारा 38 और 39 के तहत भी दोषी ठहराया था. हालांकि मोइदीन भारतीय दंड संहिता की धारा 122 के तहत एक अपराध के लिए दोषी नहीं पाया गया था. दोषी को यूएपीए की धारा 20 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनायी गई.
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अदालत के न्यायाधीश ने जताया दुखएनआईए अदालत के न्यायाधीश पी कृष्ण कुमार ने कहा, ‘‘यह दुखद है कि युवा इस तरह की अतिवादी विचारधाराओं से प्रेरित होते हैं और वे अपनी मातृभूमि के साथ शाश्वत संबंध को भी त्यागने के लिए तैयार होते हैं…’’ अदालत ने कहा, ‘‘उम्मीद करते हैं कि सुब्हानी हजा, एक बार सुधरने के बाद उन्हें बताएगा कि जन्नत का सबसे अच्छा नियम भारत के संविधान द्वारा संरक्षित कानून होना चाहिए.’’
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर आरोपपत्र के अनुसार केरल के इदुकी जिले का रहने वाला मोइदीन जानबूझकर अप्रैल 2015 में आईएसआईएस का सदस्य बना था.
2015 में गया था इराक
एनआईए के आरोपपत्र के अनुसार आईएसआईएस की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए वह अप्रैल-सितम्बर 2015 में इराक गया, आतंकवादी संगठन में शामिल हुआ और इराक सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ा. एनआईए ने मामला अक्टूबर 2016 में इस विश्वसनीय सूचना के आधार पर दर्ज किया कि कुछ युवाओं ने एक षड्यंत्र रचा है और आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए भारत में आतंकवादी हमले करने की तैयारी कर रहे हैं.
एनआईए के अनुसार तीन अक्टूबर 2016 को तमिलनाडु के तिरुनवेली जिले में स्थित मोइदीन के मकान पर छापा मारा गया था जिससे ऐसी सामग्री बरामद हुई जिससे पश्चिम एशिया में संघर्ष वाले क्षेत्र में उसकी यात्रा करने का पता चला और उसे पांच अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया गया.
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भारत में जारी रखीं आईएसआईएस के समर्थन में गतिविधियां
एनआईए के अनुसार बाद की जांच में यह पता चला कि वह अप्रैल 2015 में भारत से गया था और इराक में इस्लामिक स्टेट में शामिल हुआ था जहां वह आतंकवादी संगठन के लिए लड़ा. सितम्बर 2015 में वह भारत लौटा और आतंकवादी संगठन के समर्थन में गतिविधियां जारी रखीं.
एनआईए के अनुसार उसने आईईडी बनाने के लिए तमिलनाडु के शिवकासी से विस्फोटक सामग्री खरीदने का भी प्रयास किया.