अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सीएमओ डॉक्टर अजीम मलिक ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में ये बयान दिया. उन्होंने कहा- ‘वारदात के 11 दिन बाद सैंपल लिए गए थे. जबकि सरकारी दिशा-निर्देशों में साफ कहा गया है कि ऐसे अपराध के 96 घंटे बाद तक फोरेंसिक सबूत पाए जा सकते हैं. इससे देरी होने पर रेप या गैंगरेप की पुष्टि नहीं हो सकती है.
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जानकारी के मुताबिक, हाथरस के बूलघड़ी गांव में 14 सितंबर को कथित तौर पर उच्च जाति के 4 लड़के जंगल में घास काट रही लड़की को मुंह दबाकर दुप्पटे के सहारे पीछे से खींच ले गए. कुछ घंटों बाद लड़की बाजरे के खेत में अर्धनग्न हालत में मिली. उसकी जीभ कटा हुआ था और रीढ़ की हड्डी टूटी थी. उसे एएमयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 22 सितंबर को जब उसे होश आया, तो उसने इशारों में अपने साथ हुए दरिंदगी की जानकारी परिवार को दी.
पुलिस का दावा- मारपीट से हुई मौत
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा था, ‘फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी रिपोर्ट में लड़की के शरीर में कोई स्पर्म नहीं मिला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़की की मौत मारपीट के कारण हुई है. अधिकारियों के बयान के बाद भी मीडिया गलत जानकारी प्रसारित कर रही है.’
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आरोपी परिवार से 23 साल पुरानी दुश्मनी
वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर भरोसा करें, तो पीड़िता के परिजन और एक आरोपी परिवार की करीब 23 साल पुरानी दुश्मनी है. पीड़िता के पिता ने एक आरोपी संदीप के पिता पर तब एससी/एसटी ऐक्ट और मारपीट की एफआईआर लिखाई थी. ठाकुर बहुल बूलघड़ी गांव में वाल्मीकी समाज के लोग गिनती के हैं. गांव में ठाकुर समाज के दो गुट बताए जा रहे हैं. एक गुट के साथ वाल्मीकी समाज के लोग हैं. दूसरा गुट युवती की मौत के आरोपी संदीप, रामू, लवकुश और रवि पक्ष का है.