इससे क्या होगा- किसानों को अब सोलर प्लांट और कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए आसानी से लोन मिलेगा.अब तक जिन जिलों में बैंक प्राथमिकता श्रेणी के कर्ज़ों को कम बांट रहे थे, उन जिलों में अब बैंकों को ज्यादा तरज़ीह देनी होगी. जी हां, अब किसान आसानी से लोन ले सकेंगे.
किसानों को अब सोलर पंप लगाने के लिए सस्ती दरों पर कर्ज भी मिल सकेगा. सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से सोलर पंप लगाने को हरी झंडी दे दी है. पीएम कुसुम योजना का लाभ उठाने वाले किसान भी इससे सस्ती दरों पर कर्ज ले सकेंगे. सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को मंजूरी दी है. इस फंड के जरिए सरकार 3 फीसदी सस्ती दरों पर कर्ज देती है. इसके तहत किसानों को 7 साल के लिए कर्ज मिलता है. सरकार का लक्ष्य 2022 तक खेतों में 17.50 लाख सोलर पंप लगाने का है. साथ ही 10 लाख ग्रिड से जुड़े हुए सोलर पंप के लिए कर्ज मिलेगा. सरकार का लक्ष्य 2022 तक 26000 मेगावाट सोलर से उत्पादन का है.
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मोदी सरकार (Modi Government) किसानों की आय दोगुनी करने के लिए पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Scheme) भी चला रही है. गरीब कल्याण रोजगार अभियान (Garib Kalyan Rojgar Abhiyaan) के तहत कुसुम योजना की मदद से राजस्थान के किसानों की आय बढ़ाने के लिए सोलर पंप उपलब्ध कराये जा रहे हैं. किसान अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं. सोलर पैनल स्थापित करने के लिए किसानों को केवल 10 फीसदी रकम का भुगतान करना होता है. केंद्र सरकार किसानों को बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देती है.
आरबीआई ने कहा है कि नए दिशा-निर्देशों में प्रायोरिटी सेक्टर के तहत लोन दिए जाने में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने की कोशिश की गई है. शोधित पीएसएल दिशानिर्देशों से कर्ज से वंचित क्षेत्रों तक ऋण की पहुंच को बेहतर किया जा सकेगा. इससे छोटे और सीमांत किसानों तथा समाज के कमजोर वर्गों को अधिक कर्ज उपलब्ध कराया जा सकेगा. साथ ही इससे अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य ढांचे को भी कर्ज बढ़ाया जा सकेगा. देश में प्राथमिकता वाले क्षेत्र की धारणा 1972 में लाई गई थी. बैंकों को 1974 में ये निर्देश दिया गया था कि वो अपने कुल कर्ज़ों का 33% हिस्सा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को दें. इसके लिए बैंकों को 5 साल का वक्त दिया गया था. इसके बाद से देश में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के कर्ज़ों के गाइडलाइंस की समय-समय पर समीक्षा भी होती है. अब से पहले अप्रैल 2015 में प्राथमिकता वाले क्षेत्र के कर्ज़ों पर गाइडलाइंस की समीक्षा की गई थी.