केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी (G Kishan Reddy) ने संसद में कहा था कि यह जम्मू कश्मीर के लोगों की बहुप्रतीक्षित मांग थी कि वहां बोली जाने वाली भाषाओं को आधिकारिक भाषाओं की सूची में शामिल करना चाहिए. उन्होंने कहा था कि केंद्रशासित प्रदेश में करीब 74 प्रतिशत लोग कश्मीरी और डोगरी भाषाएं बोलते हैं. रेड्डी ने कहा था कि 2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू कश्मीर की केवल 0.16 प्रतिशत आबादी उर्दू जबकि 2.3 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं . उन्होंने कहा था कि सरकार क्षेत्र में अन्य स्थानीय भाषाओं- पंजाबी, गुर्जरी और पहाड़ी को भी बढ़ावा देने के लिए कदम उठाएगी.
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प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि सरकार ने डोगरी, हिंदी और कश्मीरी को जम्मू कश्मीर में आधिकारिक भाषाओं में शुमार करने की बहुप्रतीक्षित मांग को स्वीकार लिया है.कृषि से जुड़े विधेयकों को भी राष्ट्रपति की मंजूरी
इससे पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रविवार को तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी, जिनके चलते इस समय एक राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है और खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
गजट अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी. ये विधेयक हैं- 1) किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, 2) किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और 3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020.
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किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 का उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है.
किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक का उद्देश्य अनुबंध खेती की इजाजत देना है.
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है.