अमित शाह ने कहा कि यह देखना होता है कि पार्टी के संगठन का विस्तार कितना हुआ है, पैठी कितनी बनी है. जबसे जेडीयू (JDU) बनी है. तभी से वह भाजपा के साथ है. लिहाजा, गठबंधन टूटने का कोई कारण नहीं बनता. हालांकि बीच में जेडीयू जरूर अलग हुई, लेकिन वह फिर साथ आई.
उन्होंने आगे कहा कि नीतीश जी के नेतृत्व में बिहार में अच्छा विकास हुआ है. हम चाहते हैं कि विकास का यह क्रम बरकरार रहे. दोनों पार्टी मिलकर बिहार को द्रुत गति से आगे ले जाएंंगी.
इससे पहले उन्होंने इस चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने को लेकर कहा कि चिराग पासवान (Chirag Paswan) की अगुवाई वाली एलजेपी ने अकेले जाने का फैसला किया है. हालांकि चुनाव साथ लड़ने के लिए उन्हें उचित संख्या में सीटों की पेशकश की गई और बातचीत के कई प्रयास भी किए गए.
विशेष साक्षात्कार में अमित शाह ने कहा, “जहां तक बीजेपी-जेडीयू-एलजेपी के गठबंधन का सवाल है, बीजेपी और जेडीयू दोनों की ओर से एलजेपी को उचित संख्या में बार-बार सीटों की पेशकश की गई. इस बाबत कई बार बातचीत भी हुई. मैंने व्यक्तिगत रूप से कई बार चिराग से बात की.”
विफल वार्ता होने के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा, “इस बार हमारे पास गठबंधन के नए सदस्य हैं, इसलिए प्रति पार्टी सीटों की संख्या नीचे जाने के लिए बाध्य थी. जेडीयू और भाजपा ने भी कुछ सीटें छोड़ दीं. लेकिन यह अंततः एलजेपी के साथ नहीं हो सका”.
शाह ने आगे कहा कि एकतरफा टिप्पणियां भी की गईं, जिसका नतीजा पार्टी कार्यकर्ताओं पर दिखाई दिया, इसलिए उनका एक खेमे में रहना मुश्किल हो रहा था. हालांकि, उसके बाद भी हमने गठबंधन नहीं तोड़ा, उन्होंने ऐसा करने की आधिकारिक घोषणा की’
क्या इन चुनावों के बाद लोजपा एनडीए में वापस आ सकती है, इस सवाल पर शाह ने कहा कि “बिहार के लोग समझते हैं कि गठबंधन क्यों और किसके कारण टूटा था. हम चुनाव के बाद देखेंगे कि क्या एलजेपी एनडीए में शामिल होती है. हम अभी विरोधी हैं और उसी के अनुसार चुनाव लड़ेंगे.”