सीएम को नहीं लिखा पत्र
विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ये पत्र न लिखकर सीधे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को लिखा है. वहीं उन्होंने इस पत्र की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भेजी है.
पत्र में विधायक ने लिखा है कि देश की आजादी के बाद यह पहली घटना है, जिसमें पुलिस प्रशासन ने शीर्ष अधिकारियों के इशारे पर एक कथित दुष्कर्म और वीभत्स तरीके से कई गई हत्या मामले में बिना परिवार को भरोसे में लिए और उनका मौलिक अधिकार छीनते हुए उन्हें अर्थी को कंधा देने और मुखाग्नि देने तक नहीं दी.
अधिकारियों और नेताओं का चल रहा सिंडिकेट: विधायक
विधायक ने कहा कि कोरोना काल में बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा सेवा भाव की मिसाल पेश कर जनता के हृदय में जो स्थान बनाया था, उसे लखनऊ शासन में बैठे शीर्ष अधिकारियों और राजनीतिक दलों के नेताओं के सिंडिकेट ने गहरी साजिश कर नुकसान पहुंचाकर उसकी छवि धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया है.
उन्होंने कहा कि इस सिंडिकेट द्वारा बीजेपी की दलित विरोधी छवि गढ़ने का प्रयास भी इस मामले की तह में है. बलरामपुर आदि स्थानों में घटित घटना में भी अधिकारियों की संवेदनहीन और गैर जिम्मेदाराना भूमिका भी इसी षड्यंत्र का हिस्सा है. विधायक ने लिखा है कि इस सिंडिकेट के विषय में उन्होंने सीएम योगी को साक्ष्य के साथ पत्र लिखकर अवगत भी कराया था लेकिन बजाए उन अधिकारियों पर कार्रवाई करने के उन्हें पदोन्नति दी गई, जिससे उनका मनोबल बढ़ता गया और हाथरस घटना सामने है.
बीजेपी के गाजियाबाद में लोनी विधायक नंद किशोर का राज्यपाल को पत्र
उच्चस्तरीय जांच हो साजिश की
विधायक ने पत्र में मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और हाथरस मामले में राजनीतिक दलों के नेताओं से सांठगांठ कर प्रदेश सरकार की सनातन विरोधी छवि गढ़ने की कुत्सित प्रयास करने वाले यूपी पुलिस के डीजीपी, हाथरस के डीएम और एसएसपी समेत मामले को देख रहे अन्य अधिकारियों पर भी हत्या का मुकदमा दर्ज कर फास्ट ट्रैक कोर्ट से सजा दिलाई जाए.