फैक्ट्री एक्ट में रोजाना काम के घंटे, हफ्तेवार काम के घंटे, काम के दौरान रेस्ट और ओवरटाइम पेमेंट के प्रावधानों में छूट दी गई थी. यानी इस रियायत से फैक्ट्री मालिक मजदूरों से ज्यादा घंटे काम करवा सकते थे और उसके लिए कोई पेमेंट भी नहीं देना पड़ता.
कोविड-19 कोई पब्लिक इमरजेंसी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने इस नोटिफिकेशन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए बेहद सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 कोई पब्लिक इमरजेंसी नहीं है कि लोगों को ओवरटाइम का पेमेंट न दिया जाए.
फैक्ट्री एक्ट के प्रावधानों को खत्म नहीं किया जा सकता
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने कहा कि महामारी की स्थिति में उन प्रावधानों को खत्म नहीं किया जा सकता जिनके तहत मजदूरों को अधिकार और सम्मान मिलता है.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
गौरतलब है कि इस सरकारी नोटिफिकेशन को चैलेंज करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते 23 सितंबर को निर्णय सुरक्षित कर लिया था. ये नोटिफिकेशन राज्य सरकार ने इसी साल 17 अप्रैल को जारी किया था.
इन संगठनों ने दायर की थी याचिका
मामले में याचिका दायर करने वाले संगठनों का नाम है गुजरात मजदूर सभा और ट्रेड यूनियन सेंटर ऑफ इंडिया (मुंबई). याचिका में कहा गया था कि नियमों के मुताबिक कर्मचारियों के लिए काम करने के घंटे तय हैं. सप्ताह में एक दिन की छुट्टी के प्रावधान के साथ हफ्ते में 48 घंटे काम करने नियम है. इस दौरान प्रतिदिन आधे घंटे का रेस्ट का भी समय दिया जाता है.