वहीं, पिछले रविवार को जब राज्यसभा में कृषि विधेयक ध्वनिमत से पास हुए थे तब कांग्रेस (Congress) ने भी उस दिन को संसदीय इतिहास में काला दिन करार दिया था. कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि संसदीय कार्रवाई के दौरान राज्यसभा में किसान विरोधी काले कानून सभी परम्पराओं को तोड़कर पारित किये गये हैं. यह दिन संसदीय इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज हो चुका है. बता दें इन विधेयकों के चलते इस समय एक राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है और खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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इन विधेयकों का विरोध राजग के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी किया है और उसने खुद को राजग से अलग कर लिया है. इससे पहले, 17 सितंबर को सुखबीर सिंह बादल की पत्नी और शिअद की वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर ने कृषि विधेयकों के विरोध में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.शिअद ने इसलिए लिया एनडीए से अलग होने का फैसला
एनडीए से अलग होने के बाद शिअद की ओर से जारी बयान में सुखबीर बादल ने कहा कि राजग से अलग होने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि केंद्र ने किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी सुनिश्चित करने से इनकार कर दिया है. वह पंजाबी, खासकर सिखों से जुड़े मुद्दों पर लगातार असंवेदनशीलता दिखा रही है, जिसका एक उदाहरण है जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषा श्रेणी से पंजाबी भाषा को बाहर करना.’’
हरसिमरत कौर ने राजग से अलग होने के बारे में कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने पंजाब की ओर से आंखें मूंद ली हैं. उन्होंने कहा कि यह वह गठबंधन नहीं है जिसकी कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कल्पना की थी. (भाषा के इनपुट सहित)