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Jharkhand Live News – Teachers Transfer News: झारखंड में शिक्षकों की स्थानांतरण नीति में होगा बदलाव

Teachers Transfer News: राज्य के प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्कूल तक के शिक्षकों की तबादला नीति फिर बदली जा रही है। दिव्यांग, असाध्य रोगी, सरकारी सेवा वाले पति-पत्नी के साथ-साथ अब महिला और अन्य शिक्षकों को गृह जिला में स्थानांतरण का मौका मिल सकता है। इसके लिए स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने छह जुलाई को बैठक बुलाई है। इसमें विभाग के आला अधिकारियों के साथ-साथ माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

झारखंड में अंतर जिला स्थानांतरण वर्षों से नहीं हुआ है। राज्य में 2015-16 की नियुक्ति प्रक्रिया में प्रारंभिक स्कूलों में नियुक्त हुए 18000 शिक्षकों में से 8000 ऐसे हैं जो दूसरे जिलों में कार्यरत हैं और गृह जिला लौटना चाहते हैं। इनमें करीब 35 सौ शिक्षिकाएं हैं। इनमें से कई की योगदान के बाद शादी हुई है। ऐसे में उनके सर्विस बुक और आवासीय में उनके मायके का पता है। उनके पति निजी कंपनियों में दूसरे जिलों कार्यरत हैं जिस वजह से उनका तबादला नहीं हो पा रहा है। 2019 में बनी तबादला नीति के अनुसार इसमें उन्हीं शिक्षिकाओं को अंतर जिला स्थानांतरण की छूट है जिनके पति सरकारी सेवा में दूसरे जिलों में तैनात हैं। ऐसे में पति का गृह जिला ही पत्नी का गृह जिला हो जाता है। ऐसे में अब महिलाओं के अंतर जिला स्थानांतरण के लिए विशेष छूट दी जा सकती है। आपको बता दें मंत्री जगरनाथ महतो ने भी शिक्षकों के स्थानांतरण किए जाने की बात कही है। शिक्षकों का अंतर जिला स्थानांतरण के साथ-साथ विभाग द्वारा तैयार पांच जोन में भी तबादला होगा। इसमें शिक्षकों को शहरी, प्रखंड, पंचायत, ग्रामीण, सुदूर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के स्कूलों में पदस्थापन होना है। शिक्षकों को इन जोन में अपनी सेवा के दौरान एक बार अवश्य रहना है।

बाहरी शिक्षकों को मिलेंगे तीन विकल्प
झारखंड की स्कूलों के वैसे शिक्षक जो दूसरे जिलों के निवासी हैं उन्हें सीमावर्ती तीन जिलों के विकल्प की छूट होगी। वे प्राथमिकता के आधार पर किसी जिले में पदस्थापित हो सकेंगे। इसमें महिला शिक्षिकाओं के लिए उनके पति के गृह जिले को ही उनका गृह जिला माना जाएगा अगर सरकारी सेवा वाले पति पत्नी जिस जिले का विकल्प देंगे वह उनका गृह जिला माना जाएगा।

अंतर जिला स्थानांतरण में होगी देरी
प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्कूल के शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण में देर हो सकती है। इसमें नियम में बदलाव किया गया तो राह आसान हो सकती है। नियम के अनुसार किसी भी जिले में पदस्थापित शिक्षक अगर अंतर जिला स्थानांतरण चाहते हैं तो सबसे पहले उस जिले की स्थापना समिति से अनुमोदन करा कर प्रस्ताव प्राथमिक शिक्षा निदेशालय भेजना होता है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय जब उस प्रस्ताव को सहमति दे देता है तो जिस जिले में वह अंतर जिला स्थानांतरण चाहते हैं उस जिला की स्थापना समिति शिक्षकों के पदस्थापना की लिस्ट निकालती है। इसके बाद ही शिक्षक को दूसरे जिले से रिलीव होकर नए जिले में योगदान करना होता है। सिलसिलेवार यह प्रक्रिया चली भी तो इसमें भी कई महीनों का समय लग जाता है पिछले तीन वर्षों में अभी तक इस आधार पर तबादला नहीं हो सका है।

दिव्यांग शिक्षकों को गृह जिला में मिले प्राथमिकता
राज्य सतर्कता आयुक्त सतीश चंद्र ने राज्य के प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त दिव्यांग शिक्षकों को गृह जिला स्थानांतरण में प्राथमिकता दिए जाने का निर्देश दिया है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि नियमावली में असाध्य रोग के साथ दिव्यांगता से ग्रसित शब्द को जोड़ने की आवश्यकता है। इसमें सरकार दिव्यांग कर्मियों के पदस्थापन और स्थानांतरण के लिए नीति बनाएं, ताकि उनके गृह स्थान के निकट उनका पदस्थापन किया जा सके। उन्होंने कहा कि दिव्यांग जनों के गृह क्षेत्र या उनके लिए सुगम स्थान पर स्थानांतरण करने पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए और इस कार्रवाई की जानकारी जल्द से जल्द दी जाए।

झारखंड माध्यमिक शिक्षक संघक के महासचिव गंगा यादव ने कहा, ‘सभी शिक्षकों को गृह जिले में जाने का मौका दिया जाए। सरकारी सेवा वाले जो पति-पत्नी शिक्षक अलग-अलग जिले में हैं उन्हें एक जिले में पदस्थापित किया जाए। साथ ही महिलाओं, दिव्यांग और असाध्य रोगी को भी च्वाइस के अनुसार पोस्टिंग की जाए।’

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने बताया कि अंतर जिला स्थानांतरण नहीं होने से राज्य के करीब आठ हजार शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। नियमों की दुहाई ना देते हुए सरकार अभिलंब ऐसे शिक्षकों का अंतर जिला स्थानांतरण कर उन्हें गृह जिले में जाने का मौका दें। इससे वे स्कूली बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ-साथ अपने परिवार को भी समय दे सकें।    

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