इन दिनों जमशेदपुर के मनोचिकित्सकों के पास आने वाले फोन कॉल में से औसतन हर पांचवा कॉल किसी परीक्षार्थी या उसके अभिभावक का होता है। हर वैसे अभिभावक उलझन में है जिनके बच्चे इस सत्र में 12वीं बोर्ड की परीक्षा देने वाले थे। परीक्षा होने और न होने को लेकर विद्यार्थी लंबे समय तक उलझन में रहे और उनके अभिभावक परेशान। परीक्षा को लेकर निर्णय लेने में इतनी देरी और अब परीक्षा रद्द हो जाने की वजह से बच्चों के अंदर कई तरह के मानसिक और शारीरिक बदलाव नजर आने लगे हैं।
हालात चिंताजक : बच्चों में चिड़चिड़ापन की अधिक शिकायत, बेचैनी, अकेलापन, गुमसुम, साथ ही किसी भी बात का ठीक से जवाब नहीं देना, बोर्ड परीक्षा को लेकर नेट में लगातार सर्च करते रहना, बोर्ड के बारे में सवाल पूछने पर नाराजगी जाहिर करना।
केस-1
मेरी बेटी 12वीं की बोर्ड की परीक्षार्थी है। उसने पूरी तैयारी की थी। पर, परीक्षा नहीं हो रही है। उसके चलते कोई दूसरा काम नहीं है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसमें चिड़चिड़ापन प्रतीत हो रहा है। वह छोटी सी छोटी बात पर भी नाराज हो जाती है। वह अकेले रहना पसंद कर रही है। परीक्षा या बोर्ड के बारे में कोई पूछता है तो वह नाराज हो जाती है।
केस-2
मेरी बेटी इंटरनेट पर लगातार यह सर्च करती रहती है कि 12वीं की परीक्षा कब होगी या फिर उसपर कोई निर्णय लिया गया कि नहीं। वह इस बात को लेकर काफी चिंतित है कि उसने दो साल तक पढ़ाई की पर अब कोरोना की वजह से परीक्षा नहीं हो पा रही है। परीक्षा न होने की वजह से उसके कैरियर पर क्या असर पड़ेगा, इसे लेकर वह परेशान है।
एक्सएलआरआई के मनोचिकित्सक डॉ. पूजा मोहंती ने बताया किइस तरह के परिवर्तन सामान्य तौर तब आते हैं जब कहीं अनिश्चितता बनी रहती है और निर्णय का अभाव रहता है। अभिभावकों के कॉल में चिड़चिड़ापन की बात अधिक है। बच्चों की मानसिक अवस्था में परिवर्तन पर अभिभावकों की भूमिका अहम है।
पहले भी कॉल आ रहे थे लेकिन अब परीक्षा रद होने के बाद से बच्चों को दूसरे तनाव से गुजरना पड़ सकता है। इसके लिए अभिभावकों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है क्यों कि इस उम्र में बच्चे अपने भविष्य को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं। – डॉ. महावीर राम, संचालक संस्था जीवन
ध्यान रखें ये बातें:
बच्चों को अपने आसपास ही रखें, उनपर बेवजह दबाव न बनाएं।
बतायें कि जो होगा बेहतर ही होगा, उनके तनाव को दूर करें।।
भरपूर नींद लेने दें और हो सके तो व्यायाम के लिए प्रेरित करें।
विद्याथिर्यों की हौसला अफजाई करें और उनकी पढायी जारी रखें।
यदि अधिक दिक्कत है तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें।