रेमडेसिविर केस में गुरुवार को भी हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई में मौजूद केस आईओ से अदालत ने पूछा कि आपने इस मामले में किसी को सरकारी गवाह (अप्रूवर) बनाया है। जिसपर आईओ ने पहले कहा कि नहीं फिर बाद में बताया कि हां हमने एक व्यक्ति को अप्रूवर बनाया है।
अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि हम यह कहना नहीं चाहते कि आपलोग एक आरोपी की मदद करना चाहते हैं, लेकिन जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे लगता है कि कुछ गड़बड़ है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट शब्दों में है बताने को कहा कि इस केस में किसी अधिकारी को सरकारी गवाह (अप्रूवर) बनाया गया है कि नहीं। आपने कोर्ट को बिना बताए या दिखाए चार्जशीट कैसे फाइल कर दी। किसी को गवाह बनाने या नहीं बनाने का निर्णय बिना कोर्ट को विश्वास में लिए कैसे ले लिया गया।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में हुई। इस दौरान महाधिवक्ता की ओर से बताया गया कि निजी कारणों से एसआईटी हेड कोर्ट में मौजूद नहीं हो सके हैं। अदालत ने कहा कि आईओ ने पहले बताया कि अप्रूवर बनाया गया है, फिर कहा कि नहीं अप्रूवर नहीं गवाह बनाया गया है। ऐसे में अदालत ने अनुसंधान को संतोषजनक नहीं मानते हुए कहा कि इस प्रकार की जांच की आलोचना की जानी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को तय करते हुए अदालत ने अनुसंधानकर्ता और एसआईटी प्रमुख अनिल पलटा को अगली तिथि पर कोर्ट में मौजूद रहने को कहा।