मन में पढ़ने और कुछ करने का जज्बा हो तो सारे रास्ते खुद-ब-खुद खुलने लगते हैं। बस प्रयास ईमानदारी से होना चाहिए। घाटशिला कॉलेज में संथाली से स्नातक कर रही छात्रा मंजूरी मार्डी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।
कोरोना काल में स्मार्टफोन के कारण ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित छात्रा मंजूरी ने मोबाइल खरीदने के लिए गांव के आसपास उगने वाली बबई घास से रस्सियां बनाकर बाजार में बेचना शुरू किया। सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन के संस्थापक तरुण कुमार को एक पैड, एक पेड़ कार्यक्रम के तहत मंजूरी मार्डी के इस संघर्ष का पता चला। इसके बाद तरुण ने अपने फेसबुक पर इससे संबंधित पोस्ट डाला। फेसबुक पोस्ट पढ़कर सामाजिक कार्यकर्ता और राजस्थान के अलवर जिले के एनजीओ में कार्यरत गम्हरिया निवासी शुभोजीत बख्शी ने मंजूरी मार्डी को स्मार्टफोन देने की पेशकश की। शुभोजीत की मदद से रविवार को निश्चय फाउंडेशन के संस्थापक तरुण कुमार, बैद्यनाथ हांसदा, हेवेन्स ऑफ चिल्ड्रेन एजुकेशन के रामचंद्र सोरेन ने सुदूर गांव बलियाम पहुंचकर मंजूरी को सैमसंग एम 2 स्मार्टफोन उपहार में दिया। शुभोजीत ने बताया कि गांव ही देश की बुनियादी इकाई है, अगर गांव के बच्चे पढ़ाई न कर सकें तो फिर हमारी उन्नति के कोई मायने नहीं रह जाते। इधर, मंजूरी ने खुशी जताते हुए कहा कि अब स्मार्टफोन मिल गया तो ऑनलाइन पढ़ाई में सुविधा होगी।
गांव के बच्चों को मिलकर पढ़ाएंगी मंजूरी और सहेलियां
मंजूरी घाटशिला प्रखंड के झांटीझरना पंचायत के बलियाम गांव की रहने वाली है। मंजूरी अपने माता-पिता और भाई-भाभी के साथ गांव में रहती है, जो खेती और मजदूरी कर अपना परिवार चलाते हैं। मंजूरी ने बताया कि ज्यादातर बच्चियां कस्तूरबा विद्यालय में दाखिला मिलने पर ही पढ़ाई कर पाती हैं। कोविड के कारण काफी समय से विद्यालय बंद हैं, इस कारण बच्चों की पढ़ाई छूट गई है। मंजूरी ने कहा कि सहेलियों के साथ वह बालियाम के बच्चों को पढ़ाएंगी। साथ ही अपनी पढ़ाई भी कर सकेंगी।