अन्नपूर्णा देवी की केंद्रीय मंत्रिमंडल में ताजपोशी के साथ ही यह तय हो गया है कि वे झारखंड में ओबीसी राजनीति की नई ध्रुव बनेंगी। हालांकि पहले यह संभावना जताई जा रही थी कि बिहार की तरह झारखंड में भी भाजपा की साझीदार आजसू पार्टी को केन्द्रीय कैबिनेट में मौका मिलेगा और इसके माध्यम से भाजपा राज्य के कुड़मी मतदाताओं के बीच अपना आधार पुख्ता करेगी। लेकिन भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग की प्रक्रिया के तहत अन्नपूर्णा देवी के कद को विस्तार दिया है। आने वाले चुनाव में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है।
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर केंद्रीय कैबिनेट में एक सीट मांगी थी। पहले से झारखंड से एक केंद्रीय मंत्री भाजपा कोटे से आदिवासी अर्जुन मुंडा हैं। ऐसे में सियासी पंडित यह अनुमान लगा रहे थे कि राज्य में आदिवासी के बाद दूसरे सबसे बड़े वोट बैंक कुड़मी को साधने के लिए भाजपा नेतृत्व झारखंड से केंद्रीय कैबिनेट में एक और सीट दे सकता है। लेकिन भाजपा ने ओबीसी पर दांव खेलना तय किया और इसका फायदा पिछले लोकसभा चुनाव के समय पार्टी में शामिल हुई अन्नपूर्णा देवी को मिला।
एक दौर था जब झारखंड में अन्नपूर्णा देवी को लालू प्रसाद के खास सिपहसालारों में शुमार किया जाता था। वह बिहार और झारखंड में राजद की गंभीर नेताओं में जानी जाती थीं। परंतु, 2014 में कोडरमा से विधानसभा चुनाव हारने के बाद अन्नपूर्णा को लगा कि झारखंड के इलाके में लालू प्रसाद का करिश्मा अब चूक रहा है। उन्हें अपनी सियासत को परवान चढ़ाने के लिए राष्ट्रीय फलक की तलाश थी। इसी बीच भाजपा के राष्ट्रीय नेता भूपेंद्र यादव के ऑफर ने उन्हें राह दिखाई। 21 सालों से राजनीति में हरे परचम लहराती अन्नपूर्णा ने केसरिया बाना पहना। भाजपा में शामिल होते ही कोडरमा से सांसद बनीं। कुछ ही दिनों बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद मिला। और अब उन्हें केन्द्र में मंत्री पद दिया गया।