हर साल लाखों की संख्या में बच्चे यूपीएससी की तैयारी करते हैं लेकिन इसमें सफल महज कुछ ही बच्चे हो पाते हैं. आज हम आपको जिस शख्स की कहानी बताने वाले हैं वह बेहद ही गरीब बैकग्राउंड से आते हैं यही वजह है कि वह यूपीएससी की तैयारी नौकरी के साथ शुरू किए.
आपको बता दें कि यह परीक्षा की तैयारी करने के लिए बच्चे जब तक त्याग नहीं करते हैं तब तक उन्हें सफलता नहीं मिलती है. कई ऐसे बच्चे हैं जो बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों से तैयारी करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते हैं.
लेकिन कुछ ऐसे बच्चे हैं जो अपने मेहनत के बदौलत बेहद गरीब होने के बाद भी बिना कोचिंग के यूपीएससी जैसे बड़े परीक्षा में सफल हो जाते हैं. आज हम आपको जिस शख्स की कहानी बताने वाले हैं वह शख्स भी अपने मेहनत के बदौलत यूपीएससी जैसी परीक्षा में बिना कोचिंग के सफलता हासिल कर.
निशांत की हिंदी पर शुरू से ही काफी अच्छी कमांडर रही। ऐसे में उन्होंने सोचा कि अगर यूपीएससी में भी अपने सवालों का जवाब प्रभावशाली तरीके से देना है तो हिंदी भाषा को ही मजबूत करना होगा। इसके साथ उन्होंने अपनी रणनीति बनाई और तैयारी में जुट गए। उन्होंने कड़ी मेहनत कर यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाए। इससे घबराए बिना उन्होंने दूसरा प्रयास और बेहतर तरीके से किया। यूपीएससी 2014 की परीक्षा में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 13 प्राप्त की। इस तरह एक हिंदी माध्यम का युवा आईएएस अफसर बन गया।
पहली नौकरी छोड़ करने लगे तैयारी
निशांत आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे। निशांत ने ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद नौकरी करने के लिए कई जगह आवेदन किया और उन्हें नौकरी मिल गई। उनकी पहली नौकरी डाक विभाग में क्लर्क के पद पर लगी। नौकरी के दौरान उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर लिया। लेकिन इस नौकरी के दौरान उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने का समय नहीं मिल पा रहा था, इसलिए उन्होंने ये नौकरी छोड़ दी। उन्होंने ठान लिया था कि चाहें जो हो जाए, आईएएस ही बनना है। इसके बाद उन्होंने मेहनत की और सफलता हासिल की। निशांत राजस्थान कैडर के आईएएस हैं और जयपुर में पर्यटन विभाग में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
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