इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डायरेक्टर डॉ. बलराम भार्गव (Balram Bhargava) के मुताबिक, ‘कोई भी वैक्सीन कोरोना वायरस से संक्रमित सांस के रोगियों को 100 फीसदी सुरक्षित नहीं कर सकती. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक बयान में कहा था कि किसी भी वैक्सीन में तीन चीजें होनी चाहिए- सुरक्षा, इम्यूनिटी बढ़ाने की क्षमता और उसका कारगर होना. इसलिए मैं बता दूं कि ऐसे लोग जो सांस की बीमारियों (Respiratory Diseases) से जूझ रहे हैं, उनके लिए वैक्सीन पूरी तरह से काम नहीं कर पाएगी.’
निषिद्ध क्षेत्र बदलते रहते हैं, नमूने का आकार बहुत छोटा था: IMCR
भारत में 3 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज में
आईसीएमआर (ICMR) के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कैडिला (Cadila) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने फेज-1 ट्रायल पूरा कर लिया है. वहीं सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) ने फेज-2 B3 ट्रायल को पूरा कर लिया है. जल्द ही मंजूरी मिलने के बाद तीसरे फेज का काम शुरू किया जाएगा. जिसके लिए 14 स्थानों पर 1500 रोगियों पर इसका टेस्ट किया जाएगा.
गणितिय मॉडल सिर्फ अलर्ट होने के लिए
डॉ. बलराम ने एक इंटरव्यू में कहा, कोई भी गणितिय मॉडल यह नहीं बता सकता कि कोरोना के फैलने के लिए कौन-कौन से फैक्टर जिम्मेदार हैं. ऐसे मॉडल से सिर्फ ये आइडिया दिया जा सकता है कि देश के लिए सबसे अच्छी और बुरी स्थिति क्या हो सकती है, ताकि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की तैयारी रखी जा सके.
देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है
डॉक्टर भार्गव ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 100 वर्षों से अधिक समय से किसी न किसी रूप में किया जाता है. इसका उपयोग COVID 19 में किया जा रहा है. यह मदद करता है या नहीं इसका अध्ययन किया जा रहा है. आज ऑक्सीजन के उत्पादन की क्षमता 6,900 मीट्रिक टन से अधिक है. ऑक्सीजन की कमी नहीं है. समस्या तब होती है जब आपके पास इन्वेंट्री प्रबंधन नहीं होने पर सुविधा-स्तर पर होता है. प्रत्येक राज्य को उचित इन्वेंट्री प्रबंधन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि समय में ऑक्सीजन को फिर से भरा जा सके. यह अभी भी सहकर्मी की समीक्षा के दौर से गुजर रहा है.