कैग ने कहा, ‘‘खराब योजना (Bad Planning) और विभिन्न चरणों में अनिर्णय की स्थिति से रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) को 90 एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के उन्नयन के लिए एक इजराइली कंपनी (Israeli Company) के साथ समझौता करने में 15 साल (जनवरी 2017) लग गए.’’ कैग ने पांच यूएवी रोटैक्स इंजनों (UAV Rotax Engines) की आपूर्ति के लिए बढ़ी हुई कीमत-87.45 लाख रुपये प्रति इंजन-में मार्च 2010 में इजराइल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ करार करने पर भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की भी आलोचना की.
दसॉ एविएशन, MBDA ने राफेल सौदे के ऑफसेट दायित्वों को अब तक नहीं किया पूरा: कैग
एक अन्य मामले में लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन और यूरोप की मिसाइल निर्माता कंपनी एमबीडीए ने 36 राफेल जेट की खरीद से संबंधित सौदे के हिस्से के रूप में भारत को उच्च प्रौद्योगिकी की पेशकश के अपने ऑफसेट दायित्वों को अभी तक पूरा नहीं किया है. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है. दसॉ एविएशन राफेल जेट की विनिर्माता कंपनी है, जबकि एमबीडीए ने विमान के लिये मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति की है.यह भी पढ़ें: बिहार, बंगाल समेत इन राज्यों से 100 नई स्पेशल ट्रेनें शुरू करेगा रेलवे
कैग की संसद में पेश रिपोर्ट में भारत की ऑफसेट नीति के प्रभाव की धुंधली तस्वीर पेश की गई है. कैग ने कहा कि उसे विदेशी विक्रेताओं द्वारा भारतीय उद्योगों को उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने का एक भी मामला नहीं मिला है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि रक्षा क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पाने वाले 63 क्षेत्रों में से 62वें स्थान पर रहा है.