राघोपुर में महिलाएं बड़ी संख्या में वोट करने निकलीं।
राघोपुर जितनी हॉट सीट बिहार में किसी भी चरण में नहीं है। बिहार में ओवरऑल मुकाबला महागठबंधन और एनडीए में है। एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार नीतीश कुमार हैं और महागठबंधन की ओर से इस पद के दावेदार तेजस्वी यादव हैं। नीतीश चुनाव नहीं लड़ रहे और तेजस्वी राघोपुर से मैदान में हैं। राघोपुर के वोटर भी इस बात को खूब समझते हैं। इसलिए एक नारे का आधा हिस्सा राघोपुर के ज्यादातर बूथ पर महागठबंधन के समर्थक आपसी बातचीत में हल्के-हल्के लगाते रहे। वह आधा नारा है- चुप चाप। पूरा नारा है- चुप चाप लालटेन छाप। तेजस्वी के समर्थक जहां बोलें- चुपचाप तो समझ लीजिए इशारा क्या है। किधर है।
अबकी कच्ची दरगाह पर पुल नहीं मिला तो फेरा में पड़ जाएगापिछली बार 2015 में महागठबंधन से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार थे। एनडीए से कोई दावेदार नहीं था। इस बार नीतीश कुमार के जवाब में तेजस्वी यादव हैं। इसलिए लोग यह भी मान रहे हैं कि यह चुनाव विधायक चुनने से ज्यादा मुख्यमंत्री चुनने का चुनाव है। मुद्दा भी राघोपुर से महागठबंधन के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने दिया है, रोजगार का। सरकार बनने पर पहली कलम से दस लाख युवाओं को सरकारी स्थायी नौकरी के वादे का कोई दमदार जवाब नहीं आया। उस वादे को काटने में ही मुख्यमंत्री और एनडीए के बाकी नेताओं का समय लगता रहा। राघोपुर के लोग मुख्यमंत्री चुनने निकले थे। लेकिन राघोपुर के 235 नंबर बूथ पर एक महिला खिसिया गई, बोली की कच्चा दरगाह में हमको पुल चाहिए। हम वोट तो सही जगह पर दे रहे हैं, मंगलवारी करके घर से आए हैं लेकिन अबकी बार कच्ची दरगाह में पुल नहीं मिला तो वह फेरा में पड़ जाएगा। महिला का इशारा शायद तेजस्वी की तरफ ही था।
तेजस्वी कई कारणों से दमदार स्थिति मेंराघोपुर में यादवों का अच्छा वोट बैंक है और यादवों ने मन बना लिया है कि अपना एक भी वोट किसी कन्फ्यूजन में बर्बाद नहीं करेंगे। राघोपुर के यादव के सामने एनडीए से सतीश कुमार भी यादव ही हैं। सतीश कुमार ने एक समय राबड़ी देवी को यहां से चुनाव हरा दिया था। लेकिन इस बार सतीश मुश्किल में इसलिए हैं कि यादवों को लग रहा है कि तेजस्वी को इस बार जिताएं तो वे इस बार नेता प्रतिपक्ष से आगे मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। इसलिए तेजस्वी को वोट देने से यादव जाति का मुख्यमंत्री हो सकता है बिहार में।
चिराग ने तेजस्वी की मदद ही कर दी हैलोजपा के उम्मीदवार राकेश रोशन को पासवानों टोला के वोटरों ने जमकर कर वोट किया। इससे एनडीए के उम्मीदवार सतीश कुमार को नुकसान होगा और फिर तेजस्वी को इसका फायदा मिलेगा। अंतिम रूप से जीतने वाले की हार-जीत का मार्जिन भी इससे प्रभावित होगा। अगर लोजपा अलग नहीं लड़ती तो यह वोट भाजपा के सतीश कुमार को ही जाता। एक मायने में राघोपुर में चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव की मदद कर दी है। यहां एक लाख 30 हजार यादव वोटर हैं, 40 हजार राजपूत, 22 हजार मुस्लिम और 18 हजार के लगभग पासवान वोटर हैं। मुस्लिम वोट राजद को गया है और राजद ने राजपूत वोटर में भी सेंधमारी की है। वह चाहे रामा सिंह की वजह से हो, जगदानंद सिंह की वजह से या बिस्कोमान वाले सुनील कुमार सिंह की वजह से। हालांकि आमतौर पर माना जाता है राजपूत, भूमिहार भाजपा के वोट बैंक हैं। बड़ी बात यह कि सतीश कुमार यहां की राजनीति के अनुभवी खिलाड़ी हैं।
बाकी बिहार की महिला वोटर और राघोपुर की महिला वोटर में अंतर है
बिहार में महिलाएं बड़ी संख्या में वोट करने निकलती हैं तो उसका अलग मतलब है और राघोपुर की महिलाएं सुबह सात-आठ बजे ही बूथ पर लाइन में बासी मुंह आकर लग जाती हैं तो इसका अलग मतलब है। कुछ महिलाएं मंगलवारी करके 10-11 बजे तक पहुंचती है तो उसका भी मतलब है। ज्यादातर महिलाओं ने बताया कि वह ऐसी सरकार चुनने आई हैं जो उनके बेटे-बेटियों को नौकरी दे। उनका इशारा साफ है।