बिहार में कोरोना संक्रमण की थमती रफ्तार के बीच सीएम नीतीश कुमार ने राज्या में लगी पाबंदियों में अनलॉक-4 का ऐलान कर दिया है। सीएम ने ट्विट कर जानकारी दी कि प्रदेश में विश्वविद्यालय, सभी कॉलेज, तकनीकि शिक्षण संस्थान, सरकारी प्रशिक्षण संस्थान, 11वीं एवं 12वीं तक के विद्यालय 50% छात्रों की उपस्थिति के साथ खुलेंगे। उन्होंने बताया कि शैक्षणिक संस्थानों के व्यस्क छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं कर्मियों के लिए टीकाकरण की विशेष व्यवस्था होगी।
बिहार में स्कूल खुलने के ऐलान के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल का इंतजाम करना होगा। बिना टीका लगाए बच्चों को संक्रमण से बचाए रखने के उपाय करने होंगे। करीब डेढ़ साल की पढ़ाई में पिछड़े बच्चों के सिलेबस को पूर्ण करना दूसरी बड़ी चुनौती होगी। पिछले साल के नामांकित सभी बच्चे विद्यालय आएं, इस परेशानी से भी स्कूल और शिक्षकों को मुकाबला करना होगा। बच्चों की पढ़ाई की आदत छूट गई है। उनके सीखने की गति और समझ के स्तर में हुई कमी को पाटना स्कूल, शिक्षक और शिक्षा विभाग के लिए सबसे बड़ा टास्क साबित होने वाला है।
नियमित कक्षाओं की राह में कई अवरोध
सवाल है कि छूटे हुए पाठ्यक्रम के साथ-साथ इस सत्र के पूर्ण सिलेबस को कैसे शेष बचे समय में पूर्ण किया जाए। क्योंकि राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं जिसमें मतदान से लेकर मतगणना तक शिक्षकों की ड्यूटी लगेगी। साथ ही दुर्गापूजा, दीपावली, छठ पूजा सहित कई पर्व त्योहारों में लम्बी छुट्टी रहेगी। शिक्षा विभाग द्वारा नवम एवं दशम वर्ग के लिए इस सत्र की द्वितीय सावधिक (सेकेंड टर्मिनल) परीक्षा भी 21 सितम्बर से निर्धारित है। बोर्ड द्वारा नवंबर में ही मैट्रिक सेंटअप परीक्षा कराए जाने हैं, जिसमें पूरे सिलेबस से प्रश्न पूछे जाते हैं। साथ ही साथ मैट्रिक की परीक्षाएं भी फरवरी महीने में ली जाती है।
ऐसे बच सकता है समय
शिक्षाविदों की मानें तो नवम एवं दशम वर्ग के लिए इस वर्ष विभाग द्वारा निर्धारित द्वितीय सावधिक (सेकेंड टर्मिनल) परीक्षा ना लेकर लागातार कक्षा संचालन पर जोर दिया जाए तो बहुत हद तक सिलेबस और पाठ्यक्रम पूरा करने में सहयोग मिलेगा। टर्मिनल परीक्षा और उसकी कॉपियों के मूल्यांकन एवं रिजल्ट बनाने में शिक्षकों का बहुत समय जाया होगा और वैसे भी जब पढ़ाई ही नहीं हुई तो परीक्षा लेना भी उचित नहीं होगा।