लगातार तीन दिनों की बारिश के बाद कोसी, सीमांचल व पूर्वी बिहार की नदियां महानंदा, बागमती व कोसी खतरे के निशान को पार कर गयी है। निचले इलाकों में पानी फैलने से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। तटबंधों पर चौकसी व निगरानी बढ़ा दी गयी है।
अररिया जिले में नूना, बकरा, घाघी, रतवा, परमान आदि नदियों के जल स्तरों में लगातार हो रही वृद्धि से बाढ़ का संकट मंडराने लगा है। इससे लोगों में दहशत का माहौल है। सिकटी प्रखंड के आधा दर्जन गांवों में पानी घुसने से झील में तब्दील हो गया है। जोकीहाट प्रखंड क्षेत्र होकर बहने वाली बकरा व परमान नदी उफनाने से निचले इलाके में बाढ़ का पानी फैलने लगा है। अररिया-किशनगंज एनएच 327 ई पर भंगिया डायवर्सन पर पानी बह रहा है। वहीं कटिहार जिले में गंगा ,कोसी व बरंडी नदी के जल स्तर में वृद्धि हो रही है। दो प्रखंड आजमनगर और कदवा में महानंदा का जलस्तर चेतावनी स्तर को पार कर गया है।
बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधीक्षण अभियंता गोपाल चंद्र मिश्र ने बताया कि सभी स्पर और तटबंध सुरक्षित है। महानंदा नदी झौआ में 65 सेंटीमीटर, बहरखाल में 71 सेंटीमीटर की बढोत्तरी हुई है। किशनगंज जिले की डोंक, महानंदा, बूढ़ी कनकई सहित सभी नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है। पूर्णिया के अमौर और बायसी प्रखंड में कई इलाकों में कटाव तेज हो गया है। आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूल पर संकट मंडराने लगा है।
कोसी के जिलों में फिलहाल बाढ़ की स्थिति नहीं है। शुक्रवार रात से कोसी नदी में पानी का डिस्चार्ज बढ़ता जा रहा था जो शनिवार दोपहर तक जारी रहा। हालांकि शनिवार शाम 4 बजे नदी का डिस्चार्ज 2 लाख 30 हजार से घट कर 1 लाख 88 हजार पर आ गया था। हालांकि, कोसी के जलस्तर में वृद्धि होने से मधेपुरा जिले में निचले इलाके के खेतों में नदी का पानी फैलने लगा है।
गंगा का जलस्तर घटा
जिले में बागमती व कोसी नदी उफान पर है। बागमती नदी खतरे के निशान से 76 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुकी है। वहीं दूसरी ओर कोसी नदी भी शनिवार को शाम को खतरे के निशान को पार कर गई। हालांकि बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर स्थिर बताया जा रहा है। जबकि गंगा नदी के जलस्तर में कमी दर्ज की गई।