हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी इन दिनों लगातार चर्चा में हैं। एनडीए में रहते हुए भाजपा की आलोचना और उसे निशाने पर ले रहे हैं। यही नहीं मंगलवार को ही लालू प्रसाद यादव को बधाई भी दी। इसके बाद बिहार की सियासत में मांझी को लेकर चर्चाओं का बाजार तेजी से गर्म हो गया। लोग अपने अपने तरीके से इसका अर्थ निकालने लगे।
इन सवालों का जवाब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मांझी ने बुधवार को दी। हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। बैठक में मांझी ने कहा कि एनडीए में हैं और एनडीए में रहेंगे। गरीबों के मुद्दों पर हम अनुरोध पूर्वक आवाज उठाते रहेंगे। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या मांझी की बातों को आंख मूंद कर मान लेना चाहिए?
पिछले एक महीने के घटनाक्रम को देखें तो पता चलता है कि मांझी को दिक्कत नीतीश या जदयू से नहीं है। उनके निशाने पर केवल भाजपा है। यही नहीं एनडीए के घटक दल के नेताओं से अकेले में मुलाकात कर रहे हैं। मांझी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही निशाने पर ले लिया था। उन्होंने कोरोना वैक्सीनेशन के प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि अगर वैक्सीनेशन के प्रमाणपत्र पर मोदी की तस्वीर है तो मृत्यु प्रमाणपत्र पर भी होनी चाहिए। कहना नहीं होगा कि मांझी के इस बयान को विपक्ष का समर्थन मिला था। जबकि एनडीए सकते में था।
मांझी ने कोरोनावायरस संक्रमण के मुद्दे पर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े किए। साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोरोना पर लगाम लगाने के लिए सराहना भी की। स्पष्ट है कि उनके निशाने पर बीजेपी कोटे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय रहे। इस बीच मांझी ने एनडीए के घटक दल विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष व मंत्री मुकेश सहनी से मुलाकात की है। इस मुलाकात की बाबत मांझी ने बताया कि उनकी बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों को लेकर बात हुई। ये ‘अन्य मुद्दे’ क्या थे, फिलहाल स्पष्ट नहीं हो सका है।
एक दिन पहले ही मंगलवार को लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी की शादी की 48वीं सालगिरह के मौके पर बधाई दी थी। कहा कि वे हमेशा स्वस्थ और खुशहाल रहकर जनता की सेवा करते रहें। मांझी को लेकर विपक्ष अपने तरीके से तंज कसने में भी लगा हुआ है। कांग्रेस का कहना है कि मांझी का दिल एनडीए में नहीं लग रहा है।