वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना से सटे गोवर्धना थाने के सेबरही बरवा गांव के मागर सरेह में घास काटने गए बंका मांझी (28) को बाघ ने हमला कर मार डाला है। घटना शुक्रवार की दोपहर की बताई जा रही है। वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के निदेशक हेमकांत राय ने इसकी पुष्टि की है। घटनास्थल वीटीआर के जंगल से एक किलोमीटर से भी कम है। मामले की छानबीन करने व बाघ को जंगल के तरफ लौटाने के लिए चिउटाहां व रघिया रेंज के रेंजर समेत अन्य कर्मियों को भेजा गया है।
सेवरही बरवा गांव के मुखिया नसीम अख्तर ने बताया कि दो दिन पूर्व घटनास्थल के आसपास ही गांव के बीरबल मांझी की बकरी को बाघ खा गया था। इसकी सूचना चिउटाहां रेंज के रेंजर को दी गयी थी। वन कर्मियों की टीम मौके पर पहुंच छानबीन करने के बाद वापस चली गयी थी।
प्रत्यक्षदर्शी रामाधार मुसहर ने बताया कि शुक्रवार की दोपहर लगभग एक बजे गांव के सुरेश मांझी का पुत्र बंका मांझी दो अन्य लोगों के साथ घास काटने के लिए शंभू गिरि के गन्ने के खेत में गया था। तीनों अलग-अलग जगहों पर घास काट रहे थे। तभी बाघ ने बंका मांझी पर हमला कर दिया। उसके साथ मौजूद दो अन्य ग्रामीण चिल्लाते हुए गांव में पहुंचे। तब ग्रामीण इधर से लाठी-ठंडा लेकर शोर मचाते हुए गन्ने के खेत की तरफ दौड़े। शोर सुनकर बाघ वहां से भाग गया था। चिउटाहां रेंज के अधिकारियों को घटना की सूचना दे दी गयी है।
फरवरी में तीन लोगों को मानपुर में मारा था बाघिन ने
वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के मानपुर जंगल से सटे सूरजपुर परसौनी गांव के दंपती रेखा देवी व अकलू महतो को एक बाघिन ने 12 फरवरी को मार डाला था। उस वक्त दोनों अपने खेत में फसल की रखवाली करने के लिए सोए हुए थे। इन दोनों के मारने के महज तीन दिन पूर्व उसी बाघिन ने एक महिला को भी मार डाला था। वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के अधिकारियों ने अभियान चलाकर लोगों को मारने वाली बाघिन को जख्मी अवस्था में पकड़ लिया था। उसे इलाज के लिए पटना चिड़िया घर भेजा गया था। जहां इलाज के दौरान बाघिन की मौत हो गयी थी।
विदित हो कि राज्य के एकलौते टाइगर रिजर्व वीटीआर 880 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जिसका 530 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र व्याघ्र परियोजना के लिए आरक्षित है। व्याघ्र परियोजना की सीमा से सटे 250 गांव हैं। जबकि टाइगर रिजर्व के अंदर 26 गांव बसे हुए है। हाल के वर्षो में बाघों की संख्या इस रिजर्व में बढ़ी है। जिसके चलते बाघ कभी जंगल से निकलकर सीमा से सटे गांवों में पहुंच जाते है।