केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में लोजपा कोटे से पशुपति पारस को मंत्री बनाने के साथ ही चिराग पासवान के लिए संकट बढ़ता जा रहा है। इस बीच बुधवार को चिराग ने लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पर कब्जे को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी। चिराग पासवान ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर लोकसभा अध्यक्ष के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की अगुवाई वाले गुट को सदन में एलजेपी के तौर पर मान्यता दी गई है।
सांसद चिराग पासवान की ओर से दाखिल याचिका पर उच्च न्यायालय में 9 जुलाई को सुनवाई होने की संभावना है। याचिका में कहा गया है कि पार्टी विरोधी गतिविधि और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी ने पहले ही पशुपति कुमार पारस को पार्टी से निकाल दिया गया था। इसके साथ ही कहा है कि सांसद पारस लोजपा के सदस्य नहीं हैं। याचिका में यह भी कहा गया है लोजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 75 सदस्य हैं और इनमें से 66 सदस्य हमारे (चिराग गुट) के साथ हैं और सभी ने हलफनामा दिया है। सांसद चिराग ने कहा है कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के पास कोई ठोस आधार नहीं है और हमारे दल के सदस्य नहीं है।
याद रहे कि लोजपा में 13 जून की शाम से विवाद शुरू हुआ था और इसके अगले ही दिन चिराग पासवान को छोड़ अन्य सभी सांसदों ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी। इसमें हाजीपुर सांसद पशुपति कुमार पारस को संसदीय बोर्ड का नया अध्यक्ष चुन लिया गया था और इसकी सूचना लोकसभा स्पीकर को भी दे दी गई। इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें मान्यता भी दे दी। इसके बाद चिराग पासवान ने भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई पांचों बागी सांसदों को लोजपा से निष्कासित करने की सिफारिश कर दी थी।