राज्य में अब गन्ना किसानों को भी इनपुट अनुदान मिलेगा। खास बात यह है कि आपदा की स्थिति में इस फसल का नुकसान आकलन भी कृषि विभाग करेगा। साथ ही नुकसान होने पर अनुदान की व्यवस्था भी करेगा। गन्ना की खेती भी गन्ना उद्योग विभाग से नियंत्रित होती है। सरकार के इस फैसले से तीन लाख हेक्टेयर में गन्ना की खेती करने वाले लाखों किसानों को बड़ी राहत मिलेगी़।
कृषि सचिव डॉ. एन सरवण कुमार ने गुरुवार को यह आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि सभी कृषि पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि बाढ़- सुखाड़, असामयिक वर्षापात एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से फसल क्षति के आकलन जब-जब हो तो गन्ना की फसल की क्षति का भी आकलन अवश्य किया जाए। इससे गन्ना उत्पादक किसानों को भी नियमानुसार कृषि इनपुट अनुदान का लाभ दिया जा सकेगा।
कृषि सचिव ने बताया कि अनाज और उद्यानिक फसलों के साथ-साथ राज्य में गन्ना भी प्रमुख नगदी फसल है। ढाई से तीन लाख हेक्टेयर में इसकी खेती होती है। सबसे अधिक गन्ना पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, सीतामढ़ी, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर जिलों में होता है। बाढ़ व सुखाड़ आने पर कृषि विभाग फसलों को होने वाली क्षति का आकलन करता है, इसमें गन्ने की फसल को होने वाली क्षति का आकलन नहीं हो पा रहा है। सरकार ने निर्णय लिया है कि इस बार अन्य फसलों के साथ-साथ गन्ने की फसल की भी क्षति का आकलन किया जाएगा।