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Bihar Live News – खुलासा: बिना रिश्वत के एक भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करता था अधीक्षक, मिठाई खाने के नाम पर भी मांग लेता था रुपये

पूर्णिया जिले के श्रम अधीक्षक कार्यालय में पिछले एक दशक से सहायक मनोज कुमार जमे हुए थे। बिना उनकी सहमति का एक भी फाइल पर श्रम अधीक्षक के द्वारा हस्ताक्षर नहीं किया जाता था। किसी से भी रिश्वत लेने की डिलिंग का जिम्मा श्रम अधीक्षक आलोक रंजन अपने सहायक मनोज कुमार को ही देता था। यही वजह है कि फर्नीचर शोरूम के एचआर मैनेजर ने जब निगरानी की टीम में शिकायत दर्ज करवाई थी तो प्रथम दृष्टया जांच पड़ताल करने आए निगरानी की टीम ने श्रम अधीक्षक के अलावा उनके सहायक की भी संलिप्तता पाया था। 

पटना से आए निगरानी विभाग के  डीएसपी अरुण पासवान,  प्रशिक्षु डीएसपी समीरचंद्र झा और इंस्पेक्टर संजय चतुर्वेदी ने बताया कि श्रम अधीक्षक आलोक रंजन और उनके सहायक मनोज कुमार से पूछताछ की गई है। पूछताछ दोनों ने से कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। जिसके आलोक में छानबीन की जा रही है। निगरानी विभाग की टीम के सदस्यों ने बताया कि इसके पूर्व भी श्रम अधीक्षक के संदर्भ में फोन पर कई बार शिकायतें मिल चुकी थी। सदस्यों ने बताया कि हाथ धुलवाने  के बाद रुपया लेने की भी पुष्टि हुई। 

यदि किसी वरीय पदाधिकारी या राजनेता के पैरवी के बाद कोई काम करवाता था तो श्रम अधीक्षक और उनके सहायक मिठाई खाने के ही नाम पर रुपए की मांग कर लेता था। कुछ दिन पहले ही इस तरह का एक वाकया सामने आया था।  जिसके बाद काफी हंगामा मचा था। बाद में मामले को स्थानीय लोगों के द्वारा शांत करवा दिया गया था। बताया जाता है कि लेन देन के इस काम में श्रम अधीक्षक के सहायक के अलावा कार्यालय के कई अन्य लोग भी शामिल हुआ करते थे।

बताया जाता है कि श्रम अधीक्षक आलोक रंजन और उनका सहायक मनोज कुमार अकूत संपत्ति का मालिक है। पूर्णिया में भी दोनों ने अलग-अलग जगहों पर जमीन अपने परिजनों के नाम से लेकर रखा है। बताया जाता है कि श्रम अधीक्षक के कार्यालय में किसी भी कर्मचारी की एक नहीं चलती थी। क्लर्क से लेकर कार्यालय के अन्य वरीय पदाधिकारी भी श्रम अधीक्षक के सहायक मनोज कुमार के ही सहमति से चलते थे। बताया जाता है कि विभाग पर मनोज कुमार की ऐसी पकड़ थी कि श्रम अधीक्षक के योगदान के पहले ही उन्हें फोन वह करवा देता था। अक्सर फाइल को देखने से लेकर उनको सहेजने का काम भी मनोज कुमार ही करता था। यही वजह है कि रिश्वत लेने की भी जब बात आती थी तो श्रम अधीक्षक मनोज कुमार के जिम्मे ही यह काम सौंप देता था।

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