अधिवक्ता (Advoacte) अश्विनी कुमार दुबे के जरिए दायर याचिका में विधि आयोग (Law Commission) को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह उत्तराधिकार और विरासत (Inheritance) के संबंध में विकसित देशों (Developed Countries) के कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संधियों (International treaties) का अध्ययन करे तथा तीन महीने के अंदर सभी नागरिकों के लिए ‘उत्तराधिकार एवं विरासत के समान आधार’ (same bases for inheritance) पर एक रिपोर्ट तैयार करे.
धर्म आधारित व्यक्तिगत कानून महिलाओं की गरिमा के भी खिलाफ
याचिका में कहा गया है, “नागरिकों पर पड़ने वाली चोट काफी व्यापक है क्योंकि उत्तराधिकार और विरासत से संबंधित लिंग आधारित और धर्म आधारित व्यक्तिगत कानून न सिर्फ अनुच्छेद 14-15 के तहत प्रदत्त लैंगिक न्याय और लैंगिंग समानता की संवैधानिक प्रकृति के खिलाफ हैं, बल्कि महिलाओं की गरिमा के भी खिलाफ हैं जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार का महत्वपूर्ण तत्व है.”यह भी पढ़ें: एक साल में मिलेगी ग्रेच्युटी! संसद में पेश हुआ बिल, जानिए इसके बारे में सबकुछ
उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने पिछले महीने पैतृक संपत्ति में महिलाओं के हक को लेकर एक फैसला दिया था. इस फैसले में कहा गया था कि पिता की संपत्ति पर बेटियों का जन्म से ही अधिकार है और इस मामले में उन्हें बेटों के समान माना जाए.